Child Dies After Eating Jelly: Gave jelly to make him happy

Child Dies After Eating Jelly: खुश करने के लिए दी जेली, मौत बनकर गले में अटक गई… डेढ़ साल के आयुष की दर्दनाक मौत

खुश करने के लिए दी जेली...Child Dies After Eating Jelly: Gave jelly to make him happy, it got stuck in his throat like death... Painful death

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Reported By: Kavi Chhokar

Modified Date: May 24, 2025 / 05:47 PM IST
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Published Date: May 24, 2025 5:47 pm IST

सीहोर: Child Dies After Eating Jelly: ज़िंदगी में कभी-कभी एक छोटी-सी लापरवाही सबसे बड़ा दुःख बनकर सामने आ जाती है। ऐसा ही एक हृदय विदारक मामला सीहोर जिले के जहांगीरपुर गांव से सामने आया है जहां लाड़-प्यार में जेली खिलाना एक मासूम की जान ले बैठा। डेढ़ साल का आयुष लोधी अब इस दुनिया में नहीं है और उसकी मौत की वजह बनी एक आम-सी मीठी चीज़ जेली।

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Child Dies After Eating Jelly: आयुष अपने माता-पिता करण सिंह लोधी और पूरे परिवार का दुलारा था। बीते दिन परिजनों ने उसे खुश करने के लिए बाजार से लाई गई जेली खाने को दी। मासूम ने जैसे ही जेली मुंह में डाली वह अचानक रोने लगा और जोर-जोर से सांस लेने की कोशिश करने लगा। परिजन घबरा गए और आनन-फानन में उसे लेकर जिला अस्पताल सीहोर पहुंचे लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया।

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Child Dies After Eating Jelly: जांच के दौरान सामने आया कि जेली उसके गले में फंस गई थी जिससे उसे सांस लेने में तकलीफ हुई और दम घुटने से उसकी मौत हो गई। यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि हर माता-पिता के लिए एक गहरी चेतावनी है। सीहोर के सिविल सर्जन डॉ. प्रवीर गुप्ता ने इस घटना को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उनका कहना है की तीन साल से कम उम्र के बच्चों में भोजन निगलने की प्रक्रिया पूरी तरह विकसित नहीं होती। ऐसे बच्चों को गोल, चिपचिपी, सख्त या फिसलन भरी वस्तुएं देना खतरनाक हो सकता है। इससे दम घुटने का खतरा बढ़ जाता है।

आयुष की मौत कैसे हुई?

डेढ़ साल के आयुष लोधी की मौत जेली गले में फंसने के कारण दम घुटने से हुई। जेली के चिपचिपे और फिसलन भरे स्वरूप के कारण वह सांस नहीं ले पाया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी जान चली गई।

क्या छोटे बच्चों के लिए जेली देना सुरक्षित है?

नहीं। डॉक्टरों के अनुसार, तीन साल से कम उम्र के बच्चों की निगलने की प्रक्रिया पूरी तरह विकसित नहीं होती। ऐसे बच्चों को गोल, सख्त, चिपचिपी या फिसलन भरी चीजें देना बेहद खतरनाक हो सकता है।

इस मामले से माता-पिता को क्या सीख लेनी चाहिए?

यह घटना एक सावधानी की चेतावनी है। माता-पिता को चाहिए कि वे छोटे बच्चों को खाने के लिए केवल नरम, छोटे टुकड़ों में कटी और आसानी से निगली जा सकने वाली चीजें ही दें और हमेशा निगरानी रखें।

इस प्रकार की स्थिति में क्या करना चाहिए?

अगर कोई बच्चा खाना निगलते वक्त सांस लेने में दिक्कत, खांसी या घबराहट दिखाता है, तो तुरंत प्राथमिक चिकित्सा (जैसे Heimlich maneuver) देने का प्रयास करें और तत्काल अस्पताल लेकर जाएं।

क्या इस घटना पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई प्रतिक्रिया दी है?

हाँ, सीहोर के सिविल सर्जन डॉ. प्रवीर गुप्ता ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि ऐसी चीजें छोटे बच्चों को देना जानलेवा हो सकता है, और इस बारे में जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।