कल नहीं खुलेंगी शहर की ये दुकानें, इस वजह से व्यापारियों ने बंद रखने का लिया फैसला

सर्वोच्च जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर को तीर्थस्थल घोषित करने को लेकर जैन समाज को लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश में इंदौर..

कल नहीं खुलेंगी शहर की ये दुकानें, इस वजह से व्यापारियों ने बंद रखने का लिया फैसला

Govt Issues Transfer Order of Police Superintendent

Modified Date: December 20, 2022 / 11:44 pm IST
Published Date: December 20, 2022 11:44 pm IST

इंदौरः shops will remain closed on Wednesday सर्वोच्च जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर को तीर्थस्थल घोषित करने को लेकर जैन समाज को लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश में इंदौर के व्यापारियों ने इसके विरोध में बुधवार को बाजार बंद करने का ऐलान किया है। क्लॉथ मार्किट मर्चेंट एसोसिएशन ने ये फैसला लिया है। यानी कल क्लॉथ मार्किट मर्चेंट एसोसिएशन से जुड़े दुकान कल बंद रहेंगे।

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shops will remain closed on Wednesday दरअसल, केंद्र और राज्य सरकार ने झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित सम्मेद शिखरजीको पर्यटन स्थल में बदलने का फैसला लिया है। इसके अंतर्गत जैन धर्म के लोगों के लिए पवित्र इस क्षेत्र का कायाकल्प किया जाना है और इसे पर्यटकों के हिसाब से तब्दील किया जाना है। जैन समाज के लोगों ने सरकारों की ओर से जारी नोटिस को अपनी धार्मिक भावनाओं पर कुठाराघात बताते हुए इसके विरोध में मोर्चा खोल दिया है। जैन धर्म के लोगों का कहना है कि इससे पवित्र स्थल पर लोग आध्यात्मिक नहीं, मौज-मस्ती के मनोभाव से जाएंगे।

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जैन धर्म में क्या है सम्मेद शिखरजी की मान्यता

जैन धर्म में सम्मेद शिखरजी को लेकर मान्यता है कि जिस तरह गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं, उसी तरह इनकी वंदना करने से सभी पाप का नाश हो जाता है। जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी पहुंचकर 27 किलोमीटर के दायरे में फैले मंदिर-मंदिर जाते हैं और वंदना करते हैं। जैन धर्म के लोग वंदना के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं। जैन समाज में ये मान्यता है कि सम्मेद शिखरजी के इस क्षेत्र का कण-कण पवित्र है, पूज्यनीय है। लाखों जैन मुनियों ने इस क्षेत्र से मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समाज के लोग ये मांग कर रहे हैं कि जिस तरह अन्य धर्मों के तीर्थ स्थलों को सरकार ने सहेजा है, उसी तरह सम्मेद शिखरजी को भी संरक्षित किया जाए। सम्मेद शिखरजी को भी सिर्फ धार्मिक तीर्थ के रूप में ही मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।