भोपाल: Start New Debate मध्यप्रदेश की सियासत एक बार फिर राजभवन पर केंद्रित हो गई है। राज्यपाल के खिलाफ कांग्रेस नेताओँ की नारेबाजी के बाद दिग्विजय सिंह के ट्वीट को बीजेपी ने सियासी मुद्दा बना लिया है। राज्यपाल के अपमान बताते हुए बीजेपी ने इसे आदिवासी अस्मिता से जोड़ दिया है। बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल का अपमान इसलिए किया क्योंकि वो जनजातीय समुदाय से आते है। हालांकि कांग्रेस भी अपने बचाव में तर्क दे रही है।
Start New Debate राज्यपाल मंगुभाई पटेल के लिये कांग्रेस की नारेबाजी और अमर्यादित टिप्पणी के बाद सियासत तेज हो गई है। दरअसल नेमावर नरसंहार में जिंदा बची एक मात्र महिला सदस्य द्वारा निकाली गई न्याय यात्रा के साथ दिग्विजय सिंह समेत अन्य कांग्रेसी राज्यपाल से मुलाकात करने पहुंचे थे। लेकिन कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए राज्यपाल ने मुलाकात से इंकार कर दिया, जिसके बाद कांग्रेसियों ने राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की। इस मामले में विवाद थमा भी नहीं था कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल की भूमिका पर सवाल खड़े करते एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा था कि ‘क्या राज्यपाल किसी एक पार्टी के प्रचारक के रूप में कार्य कर सकता है? क्या ऐसे राज्यपाल से विपक्ष कोई उम्मीद कर सकता है। असल में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने राज्यपाल पटेल का एक फोटो ट्वीट किया, जिसमें राज्यपाल बीजेपी के चिन्ह कमल वाले भगवा रंग के दुपट्टा को गले में डाले दिख रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस और दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
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बीजेपी ने मामले को आदिवासी अस्मिता से जोड़कर इसे संपूर्ण आदिवासी समाज का अपमान बताते हुए प्रचारित करना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने कहा है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक हैं, उनको लेकर अमर्यादित शब्दों का उपयोग करना बताता है कि कांग्रेस की आदिवासियों के प्रति मानसिकता क्या है। इसको लेकर आदिवासी समाज के बीच जाएंगे और कांग्रेस की असलियत उजागर करेंगे। बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस और दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल का अपमान इसलिए किया, क्योंकि वो जनजातीय समुदाय से आते है। दूसरी ओर कांग्रेस की अपनी दलील है।
बहरहाल दिग्विजय सिंह ने नेमावर हत्याकांड के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने राज्यपाल को एक पत्र भी लिखा है। लेकिन इससे ज्यादा चर्चा कांग्रेस के नेताओ के द्वारा राज्यपाल को लेकर की गई टिपण्णी को लेकर है। ऐसे में जब बीते कुछ महीनो से मध्यप्रदेश की सियासत के केंद्र में आदिवासी है। तब देखना होगा राज्यपाल के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की टिप्पणी पर बीजेपी कितनी सहानुभूति बटोर पाती है?