मर गई इंसानियत.. नहीं मिला शव वाहन तो बेबस बेटा बाइक पर बांधकर ले गया मां की लाश…

Mother's dead body tied with wooden strap on bike: मर गई इंसानियत... नहीं मिला शव वाहन तो बेबस बेटा बाइक पर बांधकर ले गया मां की लाश...

मर गई इंसानियत.. नहीं मिला शव वाहन तो बेबस बेटा बाइक पर बांधकर ले गया मां की लाश…

Mother's dead body tied with wooden strap on bike

Modified Date: November 29, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: August 1, 2022 4:04 pm IST

Mother’s dead body tied with wooden strap on bike: शहडोल। एमपी के शहडोल मेडिकल कॉलेज से मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीरे सामने आई है। ये तस्वीर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। दरअसल शहडोल मेडिकल कॉलेज में अनूपपुर जिले से अपनी मां का इलाज कराने आए बेटों को इलाज नहीं मिलने से मां की मौत हो गई। हद तो तब हो गई जब मां को लेजाने के लिए शव वाहन भी नहीं मिला। इसके बाद पैसों के अभाव में बेटों ने मां के शव के लिए 100 रुपए में लकड़ी की पटिया खरीदा और शव बाइक पर रखकर 80 किलोमीटर का सफर तय कर अपने गृह ग्राम अनूपपुर जिले के गोडारू पहुंचे।

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धरती का नरक बना मेडिकल कॉलेज

Mother’s dead body tied with wooden strap on bike: कहने को तो शहड़ोल संभाग का सबसे बड़ा सर्व सुविधायुक्त मेडिकल कालेज है। लेकिन यहां लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उपचार कराने आए मरीजों व परिजनों का कहना है कि यदि धरती में नरक देखना है तो मेडिकल अस्पताल आ जाओ। गौरतलब है कि शहड़ोल संभाग के अलावा छत्तीसगढ़ से भी लोग यहां इलाज के लिए बड़ी संख्या में आते है।

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नर्सों पर लगाए लापरवाही के आरोप

Mother’s dead body tied with wooden strap on bike: गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण बेटों ने उपचार के लिए जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां हालत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। उपचार के दौरान देर रात उसकी मौत हो गई। मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर लापरवाही से इलाज करने का आरोप लगाते हुए मौत के लिए मेडिकल अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।

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नहीं थे प्राइवेट वाहन के लिए पैसे

Mother’s dead body tied with wooden strap on bike: महिला की मौत होने के बाद शव वाहन नहीं मिला। प्राइवेट शव वाहन वाले भी 5 हजार रुपए मांग रहे थे, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे। मजबूरी में बेटों ने सौ रुपए की एक लकड़ी का पटिया खरीदकर किसी तरह से शव को बाइक पर बांधकर घर ले जाना पड़ा। इस दैरान जिस जिस सड़क और गली से शव गुजरा उसे देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े और उसके मुंह से यही आवाज निकली हाय राम….ये क्या हो रहा है, निकला।

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