इंदौर: बायोडीजल की बिक्री में एकाएक इजाफा हुआ है। बड़ी मात्रा में लगातार बायोडीजल की बिक्री की जा रही है। बायोडीजल बेचने के लिए प्रशासन के द्वारा गाइडलाइन तय है लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में अवैध रूप से बायोडीजल को बेचा जा रहा है। डीजल के लगातार बढ़ रहे दामो के कारण बायोडीजल की अवैध बिक्री में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है, जो गाड़ियों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी बड़े खतरे से कम नहीं।
जिस तरह से इंदौर में डीजल 100 के पार पहुंच गया है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट्स बायोडीजल की ओर रुख कर रहे हैं। डीजल की बढ़ी कीमतों से ट्रक संचालक बायोडीजल भरवा रहे हैं। हालांकि बायोडीजल से गाड़ियों को नुकसान होना तय है। बावजूद इसके ट्रांसपोर्टर्स बायोडीजल का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में अवैध रूप से बायोडीजल का परिवहन भी शुरू हो गया है। शहर के कई इलाकों में अवैध रूप से ट्रकों में बायो डीजल भरा जा रहा है, जो गाड़ियों के लिए जहर का काम करती है।
बायोडीजल के नाम पर मिश्रित सॉल्वेंट्स, स्प्रिट, नेफ्था का खुलेआम इस्तेमाल किया जा रहा है, साथ ही हाइवे पर ढाबा और बायो डीजल पंप पर 70-75 रुपये प्रति लीटर में वाहनों को बेचा जा रहा है। मिलावटी बायोडीजल जहरीला काला धुआं छोड़ता है, जिससे वातावरण को भी भारी नुकसान हो रहा है। साथ ही सरकार के राजस्व को भी बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है।
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बायोडीजल को लेकर प्रशासन ने गाइडलाइन भी निर्धारित की है, जिसके मुताबिक डीजल में 20% बायोडीजल मिलाकर बेचा जा सकता है। लेकिन शहर में कई जगहों पर अवैध रूप से बायोडीजल की बिक्री की जा रही है। वहीं कई जगहों पर छोटे-छोटे टैंकरों में बायोडीजल का परिवहन कर गुप्त तरीके से ट्रकों में भरा जा रहा है।
बायोडीजल को डीजल के सब्सीट्यूट की तरह लिया जा रहा है। हालांकि बायोडीजल का असर गाड़ियों पर जल्दी होता है और गाड़ियों में कई तरह की दिक्कतें आने लगती हैं। लेकिन इससे भी बड़ा खतरा ये है कि बायोडीजल का अवैध भंडारण किया जा रहा है, जो लोगों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ऐसे में बायोडीजल की कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई जरूरत है।
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