ड्रीम प्रोजेक्ट..वीरान क्यों ? SADA के वादे…अब तक अधूरे, 29 सालों में नहीं बन पाया एक भी मकान

  •  
  • Publish Date - July 25, 2021 / 11:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:55 PM IST

This browser does not support the video element.

ग्वालियर: ग्वालियर में बीते 29 सालों से फाइलों और बंजर जमीन के बीच ही घुम रही है। न तो साडा क्षेत्र में लोग अपनी रूचि दिखा रहे हैं और न ही प्रशासनिक नुमांइदें इसको लेकर जरा भी संजिदें। मसलन 600 करोड़ की राशि खर्च करके बनाए क्षेत्र में अभी तक किसी शहरी व्यक्ति ने अपनी आमद दर्ज नही करवाई है। हालत ये है, जो आवास योजना के समय, साडा ने बनाएं थे वो कंडम हो गए है। आज इसी की पड़ताल करेगें। आखिर, साडा को लेकर कितनी गंभीर है, सरकार ओर उसकी मशीनरी।

Read More: विधायक बृहस्पत सिंह के आरोपों पर मंत्री टीएस सिंहदेव ने तोड़ी चुप्पी, कही ये बड़ी बात

चमचमाती सड़कों का सपना…बड़ी-बड़ी इमारतों का इरादा…बिजली, पानी, खेल-मैदान जैसी सुविधाओं का आनंद…विकास की दावा… ग्वालियर शहर और शहरवासी 29 सालों से इस सपने को संजोए हुए थे। लेकिन SADA की हकीकत क्या है?

Read More: ‘न मैं भूपेश समर्थक हूं, न सिंहदेव का’, कांग्रेस विधायक…

ग्वालियर का विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानि “साडा” में आज भी दूर-दूर तक वीरानी छाई हुई है। यहां जो भी घर बनाने की सोचते हैं, वो दूर-दूर तक छाए सन्नाटे, चारों ओर बंजर मैदान को देखकर लौट जाते हैं। दरअसल साल 1992 में प्रदेश सरकार ने ग्वालियर की बढ़ती आबादी को देखकर दिल्ली के नोएडा की तर्ज पर एक नया शहर बसाने की योजना बनाई थी। लेकिन भारी रकम खर्च करने के बाद भी यहां न तो बिजली, पानी, सीवर जैसी जरूरी सुविधाएं जुटा पाया है और न ही बनाई हुई सड़कों का मेंटेनेंस करा पाया है। नतीजतन 29 सालों से साडा के अफसर बसाहट नहीं कर पाए हैं, लिहाज़ा साडा की हालत अब पतली हो गई है।

Read More: बैठक में सिंहदेव-बृहस्पत सिंह दिखे साथ-साथ, बाहर आते ही बृहस्पत सिंह बोले- मैं अपने बयान पर कायम