मुंबई की अदालतों में दो बम धमाकों के मामलों में सभी आरोपियों के बरी होने का साल रहा 2025

मुंबई की अदालतों में दो बम धमाकों के मामलों में सभी आरोपियों के बरी होने का साल रहा 2025

मुंबई की अदालतों में दो बम धमाकों के मामलों में सभी आरोपियों के बरी होने का साल रहा 2025
Modified Date: December 25, 2025 / 04:03 pm IST
Published Date: December 25, 2025 4:03 pm IST

मुंबई, 25 दिसंबर (भाषा) मुंबई की अदालतों ने 2025 में 2008 के मालेगांव विस्फोट और 2006 के सिलसिलेवार ट्रेन विस्फोट के मामलों में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। हालांकि, अभियोजन एजेंसियों ने ट्रेन विस्फोट मामले में 12 मुस्लिम आरोपियों के बरी होने के खिलाफ अपील दायर करने का फैसला किया है।

इस साल बॉलीवुड भी अदालती खबरों में छाया रहा, जब गीतकार जावेद अख्तर ने अभिनेत्री से भाजपा सांसद बनीं कंगना रनौत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा सुलझा लिया, जिससे ‘तारीख पे तारीख’ का सिलसिला खत्म हो गया।

इक्कीस जुलाई को बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई में हुए ‘7/11’ सिलसिलेवार ट्रेन धमाकों के मामले में सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनकी संलिप्तता साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है।

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महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने दावा किया था कि आरोपी प्रतिबंधित ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (सिमी) के सदस्य थे और उन्होंने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलीभगत करके साजिश रची थी।

अपने 671 पृष्ठों के फैसले में, उच्च न्यायालय ने सभी इकबालिया बयानों को अस्वीकार्य करार दिया और कहा कि उन्हें केवल ‘कॉपी-पेस्ट’ किया गया था।

ग्यारह जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात विस्फोट हुए, जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा आरोपियों को दी गई सजा को पलट दिया।

महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की, जिसने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन कहा कि अपील पर फैसला आने तक आरोपी स्वतंत्र रहेंगे।

एक विशेष अदालत ने 31 जुलाई को भाजपा नेता प्रज्ञा ठाकुर और सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सात आरोपियों को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी कर दिया।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए ठोस और विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर सका।

महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए और 101 घायल हो गए थे।

अब तक राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर नहीं की है। हालांकि, विस्फोट पीड़ितों के परिवार वालों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसने आरोपियों को नोटिस जारी किया है।

सितंबर में, उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करते हुए मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन के दौरान शहर को ठप करने के लिए फटकार लगाई।

अदालत ने जरांगे और उनके समर्थकों को बिना अनुमति के डेरा डालने के कारण मैदान को खाली करने की चेतावनी दी। इसके बाद आरक्षण कार्यकर्ता ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर विरोध-प्रदर्शन खत्म किया।

अठारह नवंबर को, शहर की एक अदालत ने दाऊद इब्राहिम गिरोह से जुड़े धन शोधन मामले में राकांपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ आरोप तय किए, जिससे उनके खिलाफ मुकदमे का रास्ता साफ हो गया।

वर्ष 2018 के एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के मामले में गिरफ्तार कई आरोपियों को लंबी कैद के आधार पर जमानत दे दी गई।

कई मशहूर हस्तियों ने अपने ‘व्यक्तित्व अधिकारों’ की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने शिकायत की कि उनकी तस्वीरों, वीडियो और ऑडियो का इस्तेमाल बिना अनुमति किया जा रहा है।

कई फिल्मी हस्तियों ने याचिका में कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) उपकरणों का उपयोग करके, उनकी अनुमति के बिना वेबसाइटों के लिए सामग्री तैयार की जा रही है। उच्च न्यायालय ने उन सभी को राहत प्रदान की।

भाषा शफीक शोभना

शोभना


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