अदालत ने विक्रेताओं से पैसे वसूलने के मामले में मकोका में नामजद छह आरोपियों को बरी किया
अदालत ने विक्रेताओं से पैसे वसूलने के मामले में मकोका में नामजद छह आरोपियों को बरी किया
ठाणे (महाराष्ट्र), 23 जुलाई (भाषा) जिले की एक अदालत ने 2016 में यहां एक सब्जी बाजार में हथियारों के साथ घूमने और कुछ विक्रेताओं से जबरन पैसे वसूलने के मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत नामजद छह आरोपियों को बरी कर दिया है।
विशेष (मकोका) अदालत के न्यायाधीश अमित एम शेटे ने 19 जुलाई को पारित आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों को साबित करने में विफल रहा है।
विशेष लोक अभियोजक संजय मोरे ने अदालत को बताया कि 18 जुलाई 2016 को आरोपी व्यक्ति हथियारों से लैस होकर ठाणे के कलवा इलाके में एक सब्जी बाजार के पास घूम रहे थे जिन्होंने कथित तौर पर सब्जी विक्रेताओं को पकड़ लिया और जबरन उनके पैसे छीन लिए।
बचाव पक्ष की ओर से पेश वकीलों- रामराव जगताप, जावेद शेख और एम टी पाटिल ने आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध किया तथा अभियोजन पक्ष की दलील को खारिज कर दिया ।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि घटनास्थल घनी आबादी वाले इलाके में स्थित है जहां भारी यातायात होता है। यदि यह तथ्य था, तो पुलिस को किसी स्वतंत्र गवाह का हवाला देना चाहिए था।
अदालत ने कहा कि एक सब्जी विक्रेता की शिकायत के मामले में किसी स्वतंत्र गवाह की अनुपस्थिति में, अभियोजन पक्ष का बयान संदिग्ध प्रतीत होता है।
फैसले में कहा गया कि रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों को यह कहने के लिए पर्याप्त नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन पक्ष के गवाह सभी उचित संदेह से परे, आरोपों को साबित करने में सफल रहे।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह, जो सब्जी विक्रेता थे और उन्होंने बताया कि आरोपी व्यक्तियों ने उन्हें लंबे समय तक लूटा, लेकिन 18 जुलाई, 2016 की घटना तक, किसी ने भी उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए आगे आने की हिम्मत नहीं की।
इसने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि घटना के बाद वे आगे आए और आरोपियों के खिलाफ अपने-अपने बयान दिए, जिन्हें वे व्यक्तिगत रूप से जानते भी नहीं थे।
यदि आरोपी वास्तव में उक्त गवाहों से ‘हफ्ता’ वसूली कर रहे थे, तो उस स्थिति में, कोई भी सामान्य विवेकशील व्यक्ति ऐसे व्यक्ति को उसके नाम से और उसके कार्य से अच्छी तरह से पहचान सकता है।
अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में यह कहना मुश्किल है कि अभियोजन पक्ष के गवाह आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने में सफल रहे हैं।
इसने यह भी कहा कि आरोपियों के खिलाफ मकोका के तहत दंडनीय गंभीर अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें आजीवन कारावास के साथ-साथ जुर्माने के रूप में गंभीर सजा होती है।
न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान मुकदमे में, चर्चा किए गए सबूतों की गुणवत्ता उस स्तर की नहीं है जिससे आरोपियों को मकोका के तहत दंडनीय अपराध का दोषी ठहराया जा सके।
अदालत ने कहा कि आरोपियों के पास से हथियारों की बरामदगी पर भी गंभीर संदेह है।
मामले में बरी किए गए छह लोगों में सागर दिनेश वाघ उर्फ म्हातरिया (27), दीपक मधुकर भालेराव (26), सनी ज्ञानेश्वर दलवी (27), मुकेशकुमार गुलाब गौड़ (29), राजेश केशरसिंग राजपूत (31) और दुर्गेश गिरिधर वारघाड़े (33) शामिल हैं।
भाषा रंजन रंजन नेत्रपाल
नेत्रपाल

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