मुंडे के खिलाफ नामाकंन संबंधी याचिका खारिज, अदालत ने कहा-चुनाव जीतने के इरादे से तथ्य नहीं छिपाए
मुंडे के खिलाफ नामाकंन संबंधी याचिका खारिज, अदालत ने कहा-चुनाव जीतने के इरादे से तथ्य नहीं छिपाए
मुंबई, 31 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के बीड जिले की एक अदालत ने पूर्व राज्य मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता धनंजय मुंडे के खिलाफ दायर उस याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया जिसमें एक महिला ने खुद को उनकी पहली पत्नी बताते हुए 2024 के विधानसभा चुनाव के नामांकन पत्रों में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने का आरोप लगाया था।
परली वैजनाथ के न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपक बोर्डे ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता करुणा मुंडे आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला स्थापित करने में असफल रही हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि जिन कथित तथ्यों को छिपाया गया उनका उद्देश्य चुनाव जीतना नहीं था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, “शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर यह प्रतीत नहीं होता कि तथ्यों को छिपाने से आरोपी की चुनावी जीत पर कोई प्रभाव पड़ा। इसलिए, ऐसा नहीं लगता कि तथ्य, चुनाव में निर्वाचित होने के इरादे से छिपाया गया।’’
करुणा मुंडे ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट) के प्रावधानों के तहत अदालत का रुख करते हुए दावा किया था कि वह कानूनी रूप से राकांपा नेता की पहली पत्नी हैं।
उनकी मुख्य आपत्ति यह थी कि नवंबर 2024 में बीड जिले की परली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते समय धनंजय मुंडे ने अपने नामांकन पत्रों में उनका नाम शामिल नहीं किया।
वहीं, एनसीपी नेता की ओर से अदालत में कहा गया कि करुणा मुंडे के साथ उनका संबंध आपसी सहमति से था, जिससे उनके दो बच्चे हैं। पूर्व मंत्री ने केवल बच्चों के दस्तावेजों में अपने नाम और उपनाम के उपयोग की अनुमति दी थी।
धनंजय मुंडे के वकील बी. कवडे ने दलील दी कि शिकायतकर्ता को यह पूरी जानकारी थी कि राकांपा नेता पहले से विवाहित हैं, इसके बावजूद उन्होंने स्वेच्छा से संबंध बनाए और नवंबर 2020 में दोनों अलग हो गए।
अदालत ने महिला के दावे में कई विसंगतियों की ओर भी इशारा किया। आदेश में कहा गया कि जहां शिकायत में विवाह वर्ष 1996 बताया गया है, वहीं सत्यापित बयान में विवाह की तिथि एक सितंबर 1998 दर्ज है।
अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि शिकायतकर्ता ने विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र या कोई अन्य वैधानिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया, जिससे यह सिद्ध हो सके कि वह कानूनी रूप से परली के विधायक की पहली पत्नी हैं।
मजिस्ट्रेट ने कहा, “यदि शिकायतकर्ता वास्तव में कानूनी रूप से पहली पत्नी होतीं, तो उन्हें इस विषय में उचित न्यायालय का रुख करना चाहिए था।”
दस्तावेजों के अवलोकन के बाद अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि करुणा मुंडे आरोपी के खिलाफ कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए प्रथम दृष्टया मामला स्थापित नहीं कर पाई हैं।
अदालत ने कहा, “आरोपी के खिलाफ कार्यवाही से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। प्रथम दृष्टया मेरी राय में आरोपी ने चुनाव में जीत के इरादे से कोई जानकारी नहीं छिपाई और इस प्रकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए के तहत कोई अपराध नहीं किया।”
भाषा खारी नरेश
नरेश

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