अदालत ने गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद

अदालत ने गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद

अदालत ने गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद
Modified Date: November 29, 2022 / 08:18 pm IST
Published Date: September 6, 2022 9:55 am IST

मुंबई, छह सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने सोमवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ मामले में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

एनआईए की विशेष अदालत के न्यायाधीश राजेश जे. कटारिया ने नवलखा की जमानत याचिका को सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ ‘‘बेहद गंभीर’’ आरोप हैं।

अदालत के आदेश की प्रति मंगलवार को साझा की गई।

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अदालत ने कहा, ‘‘ आरोप-पत्र पर गौर करने के बाद आवेदक के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने की बात सामने आई है। प्रथम दृष्टया कथित अपराध में आवेदक की संलिप्तता प्रतीत होती है।’’

अदालत आदेश में कहा, ‘‘ अपराध बेहद गंभीर है… अपराध की गंभीरता और प्रथम दृष्टया आवेदक के खिलाफ मौजूद सबूत के मद्देनजर वह जमानत के हकदार नहीं हैं।’’

नवलखा (69) को मामले में शामिल होने के आरोप में 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें शुरुआत में घर में नजरबंद रखा गया लेकिन बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और वह पड़ोसी नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद हैं।

यह मामला पुणे के शनिवारवाड़ा में 31 दिसंबर 2017 को हुए एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए कथित उकसावे वाले भाषणों से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि इन भाषणों से शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के समीप अगले दिन हिंसा भड़क गई थी।

पुणे पुलिस ने यह भी दावा किया था कि माओवादियों ने इस सम्मेलन का समर्थन किया था। एनआईए ने बाद में इस मामले की जांच संभाली और इसमें कई सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा शिक्षाविदों को आरोपी बनाया गया।

भाषा निहारिका प्रशांत

प्रशांत


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