मुंबई, दो सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने हाल में उस समय नाराजगी व्यक्त की जब एक वरिष्ठ वकील ने सुनवाई की तारीख भूल जाने के लिए एक कनिष्ठ को दोषी ठहराने की कोशिश की।
सुनवाई की तारीख भूल जाने के कारण संबंधित अपील खारिज कर दी गई।
अदालत ने वरिष्ठ वकील को निर्देश दिया कि वह ‘‘सद्भावना के संकेत’’ के रूप में अपने कनिष्ठ को भारतीय संविधान की एक प्रति उपहार स्वरूप दे।
मेमन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की ओर से दायर एक अपील उसके वकील की अनुपस्थिति के कारण 24 नवंबर, 2022 को खारिज कर दी गई थी।
इसके बाद बैंक ने अपील बहाल करने के लिए एक आवेदन दायर किया।
अर्जी में कहा गया है था कि वरिष्ठ वकील जयेश पटेल सुनवाई की तारीख को अदालत में मौजूद नहीं रह सके, क्योंकि कनिष्ठ वकील को वाद सूची की जांच करने का काम सौंपा गया था।
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘‘हमें यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण लगता है कि अपीलकर्ता के ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ ने अपनी गैर-मौजूदगी के लिए एक कनिष्ठ वकील को दोषी ठहराने का अनुरोध किया है, जिसका नाम वकील के तौर पर सुनवाई की निर्धारित तारीख से महज दो माह से कम समय पहले दर्ज हुआ था।’’
पीठ ने न्याय के लिए अपील बहाल करने की अनुमति देते हुए वरिष्ठ वकील पर जुर्माना लगाने के बजाय उन्हें अपने कनिष्ठ सहयोगी को ग्रानविले ऑस्टिन द्वारा लिखित ‘द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन: कॉर्नरस्टोन ऑफ ए नेशन’ की एक प्रति उपहार में देने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘हमारे विचार में, यह सद्भावना के संकेत के रूप में काम करेगा और कनिष्ठ वकील के मन में हुई किसी भी गलतफहमी या दुर्भावना को मिटा देगा।’’
भाषा सुरेश देवेंद्र
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