अदालत ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सोमवार को सुनाएगी |

अदालत ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सोमवार को सुनाएगी

अदालत ऋण धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सोमवार को सुनाएगी

:   Modified Date:  January 6, 2023 / 10:00 PM IST, Published Date : January 6, 2023/10:00 pm IST

मुंबई, छह जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कथित ऋण धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गयी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर एवं उनके व्यापारी पति दीपक कोचर की ओर से दायर किये गये आवेदन पर शुक्रवार को उनकी एवं अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनीं और सोमवार के लिए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

कोचर दंपति और वीडियोकॉन ग्रुप के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को इस मामले में उनकी कथित भूमिका को पिछले महीने सीबीआई ने गिरफ्तार किया था । तीनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

कोचर दंपति ने अपनी गिरफ्तारी को इस आधार पर ‘अवैध’ करार दिया है कि सीबीआई की कार्रवाई के लिए पूर्व मंजूरी नहीं ली गयी जबिक भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम (पीसीए) के प्रावधानों के तहत ऐसा करना जरूरी है।

चंदा कोचर की ओर से वरिष्ठ वकील अमित देसाई और वकील कुशल मोर ने अदालत में कहा कि ‘लापरवाही पूर्वक पूछताछ’ के बाद उनकी मुवक्किल को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने दलील दी कि चंदा कोचर को पता नहीं था कि उनके पति के कारोबार में क्या हो रहा है।

देसाई ने कहा कि एक पुरूष अधिकारी ने चंदा कोचर को गिरफ्तार किया और प्रासंगिक मेमो में महिला अधिकारी की उपस्थिति नहीं दिखती है जबकि काननून यह जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘ कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि (महिला आरोपी की ) व्यक्तिगत तलाशी भी महिला अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए… महिला की रक्षा करना राज्य की बाध्यता है।’’

वरिष्ठ वकील ने कहा कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रासंगिक अधिकारी से पूर्व मंजूरी नहीं ली गयी जैसा कि पीसीए की धारा 17 में बताया गया है।

दीपक कोचर की ओर से वरिष्ठ वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 41 के तहत नोटिस मिलने पर दंपति पूछताछ के लिए सीबीआई के सामने पेश हुई, इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

सीआरपीसी की धारा 41 ए कहती है कि कुछ खास अपराधों में पुलिस अधिकारियों के सामने पेशी के लिए नोटिस दिया जाना चाहिए। कानून यह भी कहता है कि यदि व्यक्ति नोटिस का पालन करता है तो उसे तबतक गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए जबतक संबंधित अधिकारी कारण रिकार्ड नहीं करता।

सीबीआई की ओर से वरिष्ठ वकील राजा ठाकरे ने कहा कि कोचर दंपति को पहले निचली अदालत में अपना आवेदन देना चाहिए था। उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि कथित धोखाधड़ी से जुड़े सीधे सीधे प्रश्नों का उत्तर देने में ‘टालमटोल’ कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने केस डायरी पर गौर करने के बाद ही उन्हें हिरासत में भेजा। उन्होंने कहा कि उपयुक्त जांच के लिए उनकी गिरफ्तारी थी क्योंकि गैर सहयोग से निश्चित जांच प्रभावित होगा।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि वह नौ जनवरी को आदेश सुनाएगी।

सीबीआई ने आपराधिक साजिश से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत 2019 में दर्ज प्राथमिकी में दीपक कोचर के प्रबंधन वाली कंपनियों-नुपॉवर रिन्यूबल्स, सुप्रीम इनर्जी, वीडियोकॉन इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटिड, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटिड के साथ-साथ कोचर दंपति और धूत को भी बतौर आरोपी नामजद किया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए धूत द्वारा प्रवर्तित वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण दिया था।

भाषा

राजकुमार माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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