एकनाथ खडसे को ‘भूमि कब्जा’ मामले में बरी नहीं किया गया; आरोप तय करने का अदालत ने दिया आदेश
एकनाथ खडसे को 'भूमि कब्जा' मामले में बरी नहीं किया गया; आरोप तय करने का अदालत ने दिया आदेश
मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) मुंबई की एक विशेष अदालत ने भोसारी भूमि कब्जा मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे और उनके परिजनों को बरी करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि निजी लाभ के लिए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने की मंशा थी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संबंधी विशेष अदालत ने कहा कि खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनी खडसे और उनके दामाद गिरीश चौधरी के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे।
यह आदेश तीन दिसंबर को पारित किया गया जिसकी प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई। आदेश में न्यायाधीश सत्यनारायण नवंदर ने कहा कि एकनाथ खडसे ने बतौर राजस्व मंत्री अपने पद का ‘अनुचित लाभ’ उठाया।
अदालत ने कहा कि इस स्तर पर यह कहना उचित होगा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री के आधार पर भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का मामला बनता है।
अदालत ने आरोप तय करने के लिए मामले की सुनवाई 18 दिसंबर को सूचीबद्ध की जब तीनों आरोपियों को उपस्थित रहना होगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजस्व मंत्री के रूप में खडसे को जनहित में कोई भी निर्णय लेने की शक्तियां सौंपी गई थीं, लेकिन इन शक्तियों का प्रयोग स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के लिए अनुचित लाभ प्राप्त करने की खातिर नहीं किया जा सकता था।
अदालत ने कहा कि आरोपियों ने पुणे के पास भोसारी में एक भूखंड के लिए बिक्री समझौता कर सरकार से भारी मुआवजा हड़पने का गंभीर प्रयास किया, जबकि उन्हें पता था कि सरकार उस जमीन का अधिग्रहण करेगी।
अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आरोपी सरकार को धोखा देकर गैरकानूनी तरीके से लाभ कमाने के इरादे से इस सौदे में मिलीभगत कर रहे थे।
महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे खडसे को 2016 में इस्तीफा देना पड़ा था जब उन पर सरकारी जमीन की खरीद में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था।
भाषा अविनाश पवनेश
पवनेश

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