एल्गार परिषद मामले का आरोपी अस्थायी जमानत पर रिहा, जेल अधीक्षक ने देरी के लिए अदालत से माफी मांगी
एल्गार परिषद मामले का आरोपी अस्थायी जमानत पर रिहा, जेल अधीक्षक ने देरी के लिए अदालत से माफी मांगी
मुंबई, 11 सितंबर (भाषा) एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता रमेश गाइचोर को अस्थायी जमानत के तहत जेल से रिहा कर दिया गया है। जेल अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय को सूचित किया।
उन्होंने बताया कि गाइचोर को बुधवार रात नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया, जिन्हें 26 अगस्त को अपने बीमार पिता से मिलने के लिए उच्च न्यायालय ने तीन दिन की अस्थायी जमानत दी थी।
जेल अधीक्षक ने एक हलफनामा भी पेश किया, जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी गई, जिससे कार्यकर्ता की रिहाई में देरी हुई।
गाइचोर के वकील मिहिर देसाई ने बुधवार को एक आवेदन दायर कर दावा किया कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद, आरोपी को रिहा नहीं किया गया क्योंकि जेल अधिकारियों ने निचली अदालत से रिहाई वारंट पर जोर दिया।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को अदालत के आदेश का पालन न करने के लिए जेल अधिकारियों से नाखुशी जताई और मौखिक रूप से टिप्पणी की कि अधिकारी केवल आरोपी को परेशान कर रहे हैं।
बृहस्पतिवार को जेल अधीक्षक ने बिना शर्त माफी मांगते हुए एक हलफनामा दायर किया। हलफनामे में कहा गया है कि गाइचोर को बुधवार रात जेल से रिहा कर दिया गया।
अदालत ने हलफनामे को स्वीकार कर लिया और अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए गाइचोर को 13 सितंबर तक अस्थायी जमानत दे दी।
पिछले महीने गाइचोर को अस्थायी जमानत देते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा था कि सितंबर 2020 में गिरफ्तारी के बाद से वह अपने 76 वर्षीय पिता से नहीं मिले हैं।
पिछले महीने एक विशेष अदालत द्वारा बीमार पिता से मिलने और उनकी देखभाल के लिए दो हफ्ते की अंतरिम जमानत की याचिका खारिज किए जाने के बाद गाइचोर ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
विशेष अदालत ने कहा था कि गाइचोर के पिता सामान्य आयु संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों में आम हैं।
गाइचोर और कई अन्य कार्यकर्ताओं को भाकपा (माओवादी) समूह का कथित सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को महाराष्ट्र के पुणे में एल्गर परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है।
इन भाषणों के बाद कथित तौर पर अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा

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