उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों को 15 अप्रैल तक ड्यूटी पर लौटने को कहा

उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों को 15 अप्रैल तक ड्यूटी पर लौटने को कहा

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  • Publish Date - April 6, 2022 / 03:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

मुंबई, छह अप्रैल (भाषा) बम्बई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के हड़ताली कर्मचारियों को 15 अप्रैल तक कार्य फिर से शुरू करने का बुधवार को निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने निगम को दोषी कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के अपने फैसले को वापस लेने के लिए कहा।

एमएसआरटीसी के हजारों कर्मचारी पिछले नवंबर से हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि उनके साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों की तरह व्यवहार किया जाए और परिवहन निगम का राज्य सरकार में विलय कर दिया जाए।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने तीन सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसमें राज्य सरकार के साथ एमएसआरटीसी के विलय और निगम के कर्मचारियों को राज्य सरकार के कर्मचारी माने जाने की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया है।

हालांकि, सरकार एमएसआरटीसी को चार साल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘सरकार की ओर से नीतिगत फैसला लिया गया है। यदि एमएसआरटीसी के कर्मचारी इससे असंतुष्ट हैं तो वे इसे कानून के अनुसार चुनौती दे सकते हैं।’’

पीठ एमएसआरटीसी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद ‘ड्यूटी’ पर वापस नहीं आने पर हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया है।

मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने बुधवार को कहा कि याचिका में विचार करने जैसा कुछ भी नहीं बचा है।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘कर्मचारियों को अब ड्यूटी पर लौटना चाहिए। हम एमएसआरटीसी से कर्मचारियों को काम फिर से शुरू करने के लिए 15 अप्रैल तक का समय देने का अनुरोध करते हैं और यदि किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू की गई है तो एमएसआरटीसी इसकी समीक्षा करेगा।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी (कर्मचारियों) चिंताओं को समझते हैं। लेकिन अभी ड्यूटी फिर से शुरू करें। इस तरह से अपनी आजीविका न खोएं। साथ ही जनता को (मौजूदा हड़ताल से) तंग न होने दें।’’

भाषा

देवेंद्र पवनेश

पवनेश