अगर शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच महाराष्ट्र के हित में गठबंधन हुआ तो इसका स्वागत करेंगे: कांग्रेस

अगर शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच महाराष्ट्र के हित में गठबंधन हुआ तो इसका स्वागत करेंगे: कांग्रेस

अगर शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच महाराष्ट्र के हित में गठबंधन हुआ तो इसका स्वागत करेंगे: कांग्रेस
Modified Date: June 6, 2025 / 07:39 pm IST
Published Date: June 6, 2025 7:39 pm IST

मुंबई, छह जून (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने शुक्रवार को कहा कि अगर शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच राज्य के हित में और ‘सांप्रदायिक’ भाजपा को दूर रखने के लिए गठबंधन होता है, तो वह इसका स्वागत करेगी।

दोनों चचेरे भाइयों- शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के बीच संभावित सुलह की अटकलों के बीच कांग्रेस ने यह बयान दिया है। दोनों नेताओं के बयानों से संकेत मिले हैं कि वे एक दूसरे से हाथ मिला सकते हैं।

कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा, “शिवसेना (उबाठा) और मनसे दोनों की ओर से यह बात सामने आई है कि वे महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करने और सांप्रदायिक भाजपा को दूर रखने के लिए हाथ मिलाएंगे। अगर दोनों पार्टियां इसके लिए एक साथ आ रही हैं, तो हम इस कदम का स्वागत करेंगे।”

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राज ठाकरे ने पहले कहा था कि मराठी मानुष (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, जबकि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को रोका जाए।

लोंढे ने कहा, ‘जो लोग सत्ता में हैं और संवैधानिक पदों पर आसीन हैं, वे जाति और सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे आदर्शों छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, महात्मा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विचारधारा को रोज कुचला जा रहा है। अगर वे (शिवसेना (उबाठा) और मनसे) इस विचारधारा की रक्षा के लिए एक साथ आते हैं, तो कांग्रेस इसका स्वागत करेगी।”

इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) प्रवीण दारेकर ने उद्धव ठाकरे की आलोचना करते हुए दावा किया कि उनके विचार और जनता की राय एक दूसरे से अलग हैं।

दारेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे यह मूर्खतापूर्ण लगता है। लोगों के विचार और वोट चुनाव के दौरान व्यक्त किए जाते हैं।’

उन्होंने मनसे नेता संदीप देशपांडे की पिछली टिप्पणी का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि 2014 और 2017 (मुंबई निकाय) चुनावों में महाराष्ट्र के लोगों ने अपना मन बना लिया था लेकिन उद्धव ठाकरे ने नहीं।

देशपांडे ने उस समय कहा था, ‘उद्धव ठाकरे के मन में क्या है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं जानता हूं कि लोगों के मन में क्या है।’

दारेकर ने जोर देकर कहा कि उन्हें दोनों चचेरे भाइयों के एक साथ आने की बात से जलन नहीं है, क्योंकि यह ‘पारिवारिक पुनर्मिलन’ है।

दारेकर ने दावा किया, ‘लेकिन मुझे संदेह है कि ऐसा गठबंधन राजनीतिक रूप से कैसे काम करेगा।’

दारेकर ने कहा कि उद्धव ठाकरे, दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा से अलग हो गए हैं और उन्होंने कांग्रेस की लाइन अपना ली है।

भाजपा नेता ने दावा किया, ‘ठाकरे महा विकास आघाडी (एमवीए) में उलझे हुए हैं। मुझे नहीं लगता कि राज ठाकरे उद्धव से हाथ मिलाएंगे।”

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, शिवसेना (उबाठा) और मनसे के कार्यकर्ता लंबे समय से जमीनी स्तर पर कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे हैं और इस प्रतिद्वंद्विता को खत्म करना मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा, ‘इसमें कई ऐसे समीकरण शामिल हैं। इस पृष्ठभूमि में, मुझे नहीं लगता कि वे एक साथ आएंगे।’

भाषा जोहेब नरेश

नरेश


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