औरंगाबाद, 26 मई (भाषा) पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने रविवार को उम्मीद जताई कि सत्ता में लौटने पर भाजपा नीत राजग उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की ‘‘अलोकतांत्रिक’’ कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करने का प्रयास करेगा।
काराकाट लोकसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार कुशवाहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दावा किया, ‘‘कॉलेजियम प्रणाली में कई खामियां हैं। यह अलोकतांत्रिक है। इसने दलितों, ओबीसी और यहां तक कि ऊंची जातियों के गरीबों के लिए उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीश बनने के दरवाजे बंद कर दिए हैं।’’
राजग में शामिल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख कुशवाहा ने कहा, ‘‘अगर हम उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में पीठ की संरचना को देखें, तो इसमें कुछ सौ परिवारों के सदस्यों का वर्चस्व है। यही कारण है कि इस विसंगतिपूर्ण प्रणाली की आलोचना वर्तमान राष्ट्रपति और उनके पूर्ववर्ती ने की है।’’
नरेन्द्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री रहे कुशवाहा ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक को याद करते हुए कहा, ‘‘किसी कारण से, इसे उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया।’’ ये विधेयक 2014 में लाया गया था।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की ‘‘सामाजिक न्याय’’ पर सवाल उठाते हुए कुशवाहा ने दावा किया, ‘‘वह केंद्रीय मंत्री थे और कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग की सरकार में एक महत्वपूर्ण सहयोगी थे, लेकिन उन्होंने कभी भी कोलेजियम प्रणाली के खिलाफ आवाज उठा नहीं उठाई।”
उन्होंने कहा कि राजग सरकार ने कॉलेजियम प्रणाली के पेचीदा मुद्दे में हस्तक्षेप करने का साहस दिखाया और राजग इस दिशा में प्रयास करना जारी रखेगा।
कुशवाहा उच्चतर न्यायपालिका में आरक्षण के समर्थक रहे हैं और कई बार सहयोगी दल बदलने के बावजूद उन्होंने इस विवादास्पद मुद्दे पर अपना रुख कायम रखा है।
कुशवाहा ने कहा, ‘‘मैंने विधेयक का समर्थन किया था। अगर कोई कोई सबूत दिखा सके कि मैंने इसका विरोध किया था, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।’’
काराकाट में एक जून को मतदान होना है और कुशवाहा का भाकपा माले के राजा राम और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह से मुकाबला है ।
भाषा अनवर नोमान
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