भारत रक्षा विनिर्माण में महाशक्ति बन सकता है : सीडीएस |

भारत रक्षा विनिर्माण में महाशक्ति बन सकता है : सीडीएस

भारत रक्षा विनिर्माण में महाशक्ति बन सकता है : सीडीएस

:   Modified Date:  February 7, 2023 / 08:17 PM IST, Published Date : February 7, 2023/8:17 pm IST

पुणे (महाराष्ट्र), सात फरवरी (भाषा) रक्षा विनिर्माण में निजी क्षेत्र के योगदान की सराहना करते हुए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को कहा कि सैन्य साजो-सामान बनाने में भारत के महाशक्ति के रूप में उभरने की क्षमता है।

जनरल ने कहा कि देश ने बड़े और जटिल सैन्य प्लेटफॉर्म तैयार करने की क्षमता भी प्रदर्शित की है।

सोमवार को कर्नाटक के तुमकुरु जिले में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की नयी हेलीकॉप्टर फैक्ट्री के उद्घाटन का उल्लेख करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद, रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनना देश का सपना था।

वह पुणे शहर के चाकन में एनआईबीई डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड द्वारा आयोजित सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) रक्षा प्रदर्शनी-2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

जनरल चौहान ने कहा, ‘‘जब हम शक्तिशाली भारत की कल्पना करते हैं, तो हमारा मुख्य ध्यान सशस्त्र बलों की ओर जाता है और हम उनकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं। मेरे अनुसार सशस्त्र बलों के पीछे एक बड़ा रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र खड़ा है, जो देश को शक्तिशाली बना रहा है और यह रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र सशस्त्र बलों के साथ मिलकर काम करता है।’’

सीडीएस ने कहा कि इस पारिस्थितिकी तंत्र में लोग वर्दी नहीं पहनते हैं और सेना, नौसेना या वायु सेना कानून के तहत नहीं आते हैं, लेकिन उनमें राष्ट्र के लिए कुछ करने की तीव्र आकांक्षा होती है और वे हमेशा उस आकांक्षा से प्रेरित होते हैं।

जनरल ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि देश को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए खामोशी से काम करने वाले इस वर्ग की बड़ी भूमिका है और हमें इस योगदान को पहचानना चाहिए। इसलिए मैं यहां इस वर्ग को मान्यता देने आया हूं और कहता हूं कि देश को शक्तिशाली बनाने की प्रक्रिया में आप सभी लोग हमारे साथ हैं।’’

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनना देश का सपना था तथा आयुध कारखानों व सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) ने उस लक्ष्य को साकार करने में प्रमुख भूमिका निभाई है।

सीडीएस ने कहा कि कुछ समय पहले, रक्षा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया गया और ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल पर जोर दिया गया।

जनरल चौहान ने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि सरकार के ये दो प्रयास भारत के युवाओं और उद्यमियों की शक्ति को उजागर करेंगे। एनआईबीई डिफेंस इस उद्यमिता का एक बेहतरीन उदाहरण है।’’

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के योगदान के मद्देनजर यह देखा जा सकता है कि भारत रक्षा विनिर्माण में एक महाशक्ति के रूप में उभर सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए एकीकृत दृष्टिकोण की जरूरत है। जनरल चौहान ने कहा कि उसके लिए, सशस्त्र बलों, डीपीएसयू, डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन), निजी उद्योगों, एमएसएमई और नवोन्मेषक जैसे सभी हितधारकों ने एक साथ काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक यह सोच थी कि भारत बड़े और जटिल प्लेटफॉर्म विकसित नहीं कर सकता। हालांकि, कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के तुमकुरु में एचएएल हेलीकॉप्टर फैक्टरी का उद्घाटन किया। इससे टियर-2 और टियर-3 उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और रोजगार पैदा होगा।’’

भाषा आशीष रंजन

रंजन

 

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