जेल में बंद गैंगस्टर अरुण गवली 2008 के जबरन वसूली मामले में बरी

जेल में बंद गैंगस्टर अरुण गवली 2008 के जबरन वसूली मामले में बरी

जेल में बंद गैंगस्टर अरुण गवली 2008 के जबरन वसूली मामले में बरी
Modified Date: May 14, 2025 / 07:14 pm IST
Published Date: May 14, 2025 7:14 pm IST

मुंबई, 14 मई (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने बुधवार को गैंगस्टर अरुण गवली, छोटे भाई विजय अहीर और उसके गिरोह के पांच सदस्यों को 2008 के जबरन वसूली के एक मामले में बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा।

शिवसेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा गैंगस्टर गवली फिलहाल नागपुर जेल में बंद है।

जबरन वसूली के इस मामले में नौ आरोपी थे, जिनमें से एक की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी और दूसरा सरकारी गवाह बन गया था।

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गवली और उसके भाई समेत बाकी आरोपियों को विशेष न्यायाधीश बी. डी. शेलके ने बरी कर दिया।

अदालत ने फैसला में कहा, ‘इस मामले में, रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि अभियोजन पक्ष भारतीय दंड संहिता के तहत जबरन वसूली के लिए दंडनीय अपराधों के तहत अभियुक्तों का अपराध साबित करने में विफल रहा।’

अदालत ने कहा इसलिए, आरोपियों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत अपराधों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

साल 2005 में दादर में एसआरए (झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण) पुनर्विकास परियोजना का कार्य करने वाले एक बिल्डर ने 2008 में गवली गिरोह के खिलाफ जबरन वसूली की शिकायत दर्ज कराई थी।

अभियोजन पक्ष ने बताया कि बिल्डर ने आरोप लगाया था कि गवली ने पुनर्विकास परियोजना को जारी रखने की अनुमति देने के लिए अपने गिरोह के सदस्यों के जरिये 50 लाख रुपये की मांग की थी।

भाषा

जोहेब पवनेश

पवनेश


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