महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक विधानसभा में पारित; फडणवीस ने दुरुपयोग नहीं होने का आश्वासन दिया

महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक विधानसभा में पारित; फडणवीस ने दुरुपयोग नहीं होने का आश्वासन दिया

महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक विधानसभा में पारित; फडणवीस ने दुरुपयोग नहीं होने का आश्वासन दिया
Modified Date: July 10, 2025 / 08:00 pm IST
Published Date: July 10, 2025 8:00 pm IST

मुंबई, 10 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा ने बृहस्पतिवार को विशेष जन सुरक्षा विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य ‘‘अर्बन नक्सल’’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है।

गृह विभाग का भी प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक सदन में पेश किया।

फडणवीस ने कहा कि राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति द्वारा संशोधनों के साथ इसे मंजूरी दी गई थी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा।

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विपक्षी दलों ने विधेयक के कुछ पहलुओं पर आपत्ति जताई थी, जिसमें ‘‘अर्बन नक्सल’’ शब्द की व्यापक व्याख्या का दावा भी शामिल है। विधेयक को विधानपरिषद में पेश किया जाना अभी बाकी है।

फडणवीस ने कहा कि राज्य और देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है तथा लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ काम करने वाले संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाना समय की मांग है।

उन्होंने कहा, ‘‘शक्ति का दुरुपयोग नहीं होगा। यह एक संतुलित कानून है तथा तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और झारखंड में लागू कानूनों से कहीं अधिक प्रगतिशील है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रवर समिति के किसी भी सदस्य ने विधेयक के खिलाफ कोई असहमति नहीं व्यक्त की।

विधेयक पेश करते हुए, फडणवीस ने कहा कि इसका अंतिम मसौदा तैयार करते समय लोगों से प्राप्त 12,500 से अधिक सुझावों पर विचार किया गया।

विधेयक में एक ‘सलाहकार बोर्ड’ का प्रावधान किया गया है, जिसके अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे तथा एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश और उच्च न्यायालय का एक सरकारी वकील इसके सदस्य होंगे।

इस कानून के तहत दर्ज अपराधों की जांच पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से निम्न स्तर के अधिकारी द्वारा नहीं की जाएगी।

यह विधेयक विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र में पेश किया गया था और संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया था।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश


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