महाराष्ट्र: नासिक में बारिश प्रभावित गांवों के दौरे के दौरान भुजबल को मराठा समुदाय ने विरोध किया |

महाराष्ट्र: नासिक में बारिश प्रभावित गांवों के दौरे के दौरान भुजबल को मराठा समुदाय ने विरोध किया

महाराष्ट्र: नासिक में बारिश प्रभावित गांवों के दौरे के दौरान भुजबल को मराठा समुदाय ने विरोध किया

:   Modified Date:  November 30, 2023 / 09:56 PM IST, Published Date : November 30, 2023/9:56 pm IST

नासिक, 30 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल को मराठा आरक्षण पर अपने रुख को लेकर बृहस्पतिवार को नासिक में मराठा समुदाय के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने उनके खिलाफ नारे लगाए और उनके काफिले को काले झंडे दिखाए। मंत्री यहां बारिश से प्रभावित गांवों का दौरा करने के लिए पहुंचे थे।

भुजबल मराठाओं को आरक्षण का लाभ देने के लिए उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय में शामिल करने की एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की योजना का विरोध कर रहे हैं। मंत्री ने कई बार मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पर निशाना साधा। इसके बाद दोनों के बीच बयानबाजी भी देखी गई।

नासिक जिले में अपने विधानसभा क्षेत्र येवला के गांवों में खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री को दौरे से पहले सोमथंडेश गांव के एक व्यक्ति ने फोन किया और उनसे आग्रह किया कि वह इस जगह का दौरा न करें क्योंकि उन्हें स्थानीय मराठों के विरोध का सामना करना पड़ेगा।

बहरहाल, भुजबल ने गांव का दौरा किया, लेकिन यहां मराठा समुदाय के लोगों ने उनका विरोध किया। इतना ही नहीं, लोगों ने जिस मार्ग से भुजबल आये थे उस सड़क पर ‘गोमूत्र’ छिड़का और कहा कि इसका उद्देश्य जगह को ‘‘शुद्ध’’ करना था।

मराठा समुदाय के लोग भी येवला शहर के विंचुर चौफुली चौराहे पर इक्ट्ठा हुए और मंत्री के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने ‘भुजबल गो बैक’ और ‘एक मराठा, लाख मराठा’ के नारे लगाए। सूत्रों ने बताया कि इसके कारण भुजबल को अपना रास्ता बदला पड़ा।

मराठा आंदोलनकारियों ने जिले के निफाड़ तालुका में लासलगांव के पास कोटामगांव रेलवे पुल के पास उन्हें काले झंडे दिखाए और नारे लगाए।

एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए नासिक ग्रामीण पुलिस ने भुजबल के दौरे के दौरान कड़ी निगरानी रखी।

भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह राजनीति करने का नहीं बल्कि किसानों के आंसू पोंछने का समय है। जो लोग राजनीति करना चाहते हैं वे ऐसा करते रहेंगे। जिन लोगों ने आज मेरा विरोध किया उनमें से कुछ उन गांवों के निवासी भी नहीं थे, जहां मैं गया।’’

भाषा खारी माधव

माधव

 

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