Magh Mela 2026: कुम्भ मेले से कैसे अलग है माघ मेला? जान लें शाही स्नान की मुख्य तिथियां, कल्पवास के लाभ तथा माघ मेला 2026 की सम्पूर्ण जानकारी
नववर्ष में माघ मेला 2026, प्रयागराज के त्रिवेणी तट पर 3 जनवरी 2026 से शुरू होकर 15 फरवरी 2026 तक लगेगा। यहाँ आप जान सकते हैं शाही स्नान की मुख्य तिथियों तथा माघ मेले से जुड़ी पूरी अपडेट..
Magh Mela 2026/Image Source: IBC24
- माघ मेला 2026 की संपूर्ण जानकारी और स्नान की मुख्य तिथियां!
- कुंभ मेला और माघ मेला में क्या फर्क है?
Magh Mela 2026: माघ मेला, हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र परम्पराओं में से एक है, जो प्रत्येक वर्ष माघ महीने में प्रयागराज की त्रिवेणी तट पर लगता है। इस मेला का प्रारम्भ पौष पूर्णिमा के स्नान से शुरू होकर महाशिवरात्रि के दिन तक रहता हैं माघ मास के मेले को कुंभ मेले का वार्षिक रूप माना जाता है। वर्ष 2025 के ‘महाकुंभ’ के बाद, 2026 का माघ मेला श्रद्धालुओं को फिर से संगम की दिव्य ऊर्जा का अनुभव कराने वाला होगा। नववर्ष में यह मेला 3 जनवरी 2026 से शुरू होकर 15 फरवरी 2026 तक रहेगा।
सर्दियों की ठंडी हवाओं में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर, एक बार फिर पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जायेगा। कई श्रद्धालुओं के मन में माघ मेले को लेकर कई सवाल उठते हैं कि ये कल्पवास क्या होता है इसका क्या महत्त्व है और ये कितने दिनों का होता है? यहाँ पर आपको, आपके सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होंगे। आइये, पहले जान लें स्नान की मुख्य तिथियां तथा उनके लाभ..
माघ मेला 2026 प्रयागराज
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माघ मेले की शुरुआत : 3 जनवरी 2026
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माघ मेले का समापन: 15 फरवरी 2026
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स्थान: त्रिवेणी संगम, प्रयागराज
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कुल अवधि: 44 दिन
माघ मेला 2026 स्नान की मुख्य तिथियां!
माघ मेले में 6 ऐसी प्रमुख तिथियां होती हैं जिसमें लाखों श्रद्धालु पुण्य स्नान करते हैं। आइये जान लें वह प्रमुख तिथियां:
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पौष पूर्णिमा : 3 जनवरी 2026 (शनिवार) – यह मेले और कल्पवास की शुरुआत का दिन है।
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मकर संक्रांति: 15 जनवरी 2026 (गुरुवार) – इस दिन को प्रमुख शाही स्नान माना जाता है।
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मौनी अमावस्या: 18 जनवरी 2026 (रविवार) – यह सबसे महत्वपूर्ण और शुभ स्नान दिवस है, इस दिन मौन रहकर स्नान करें।
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बसंत पंचमी: 23 जनवरी 2026 (शुक्रवार) – यह ज्ञान और कला की देवी सरस्वती को समर्पित है।
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माघी पूर्णिमा: 1 फरवरी 2026 (रविवार) – यह कल्पवासियों के लिए मुख्य स्नान होता है।
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महाशिवरात्रि: 15 फरवरी 2026 (रविवार) – मेला समापन और अंतिम पुण्य स्नान।
Magh Mela 2026: कल्पवास क्या है और इसका महत्त्व?
कल्पवास एक महत्वपूर्ण, कठोर एवं आध्यात्मिक साधना है जिसमें श्रद्धालु पूरे माघ मास में तम्बुओं (Tent) में रहकर बिलकुल सादा जीवन जीते हैं। इस अवधि के दौरान रोज़ाना संगम स्नान, ये स्नान दिन में 2 से 3 बार किया जाता है। दिन में सिर्फ एक समय सात्विक भोजन, जप-तप, सत्संग तथा ब्रह्मचर्य का जीवन व्यतीत करते हैं। हज़ारों कल्पवासी, मेले के प्रारम्भ से लेकर अंत तक यहीं रहते हैं। कल्पवास करने से पूर्व जन्म से जुड़े सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष का द्वार खुल जाता है। यह कल्प (एक चक्र की अवधि) के समान तप का फल देता है।
माघ मेला 2026 स्नान से क्या लाभ होता है?
- हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, माघ मास में त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है व पूर्व जन्म के सभी पाप धूल जाते हैं।
- संगम स्नान से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- माघ मास में किया हुआ ये पवित्र स्नान हज़ारों अश्वमेध यज्ञों के समान पुण्य देता है।
- मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।
- माना जाता है कि संगम स्नान करने से तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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