महाराष्ट्र: आगामी नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है विपक्षी एमवीए
महाराष्ट्र: आगामी नगर निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है विपक्षी एमवीए
मुंबई, 23 दिसंबर (भाषा) राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराष्ट्र में हाल में हुए स्थानीय चुनाव में भाजपा नीत महायुति से बुरी तरह हार का सामना करने वाले विपक्षी एमवीए के लिए मुंबई सहित 29 महानगर पालिकाओं के आगामी चुनाव एक कड़ी परीक्षा होंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों ने इन चुनावों को ‘मिनी’ विधानसभा चुनाव करार दिया है।
हालांकि ग्रामीण चुनावों पर अक्सर स्थानीय समीकरणों का प्रभाव पड़ता है, लेकिन वे जमीनी स्तर पर राजनीतिक दलों की ताकत के संकेतक का भी काम करते हैं।
इस संदर्भ में, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि हाल के परिणाम छोटे शहरों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महायुति की संगठनात्मक मशीनरी का मुकाबला करने में विपक्ष की कठिनाई को उजागर करते हैं।
इस महीने की शुरुआत में हुए 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनाव में महायुति ने 207 नगर अध्यक्ष पद जीते।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी बड़ी जीत हासिल करते हुए 117 नगर अध्यक्ष पद जीते। इसके बाद सहयोगी दलों, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 53 पद और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 37 पद जीते।
दूसरी ओर, विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) की कुल सीट 44 रहीं। इसमें कांग्रेस, राकांपा (शरद चंद्र पवार) और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) ने क्रमशः 28, सात और नौ सीट जीतीं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महायुति ने स्थानीय निकाय चुनाव में नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव के शानदार प्रदर्शन को लगभग दोहराया।
एमवीए को अब आगामी चुनाव में 29 महानगर पालिकाओं के लिए चुनौती का सामना करना पड़ेगा, जिसमें मुंबई निकाय चुनाव भी शामिल है, जो 15 जनवरी, 2026 को होने वाला है।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) के लिए मुख्य चुनौती भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना की कड़ी चुनौती के बीच मुंबई में अपने ‘‘गढ़’’ को बरकरार रखना है।
शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने संकेत दिया है कि शिवसेना (उबाठा) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच मुंबई के लिए गठबंधन की बहुप्रतीक्षित घोषणा 24 दिसंबर को हो सकती है।
भाजपा नेता अमित साटम ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन को अधिक तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि इसका चुनाव परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
मुंबई में महाविकास आघाडी (एमवीए) बिखरी हुई स्थिति में है। कांग्रेस ने पहले ही महानगर में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। गठबंधन के एक और घटक, राकांपा (शरद चंद्र पवार) का मुंबई की राजनीति में एक सीमित प्रभाव है।
वहीं, महायुति द्वारा स्थानीय निकायों में अपनी पकड़ बढ़ाए जाने के कारण, विपक्षी दलों पर गठबंधन के भीतर अपनी रणनीति और नेतृत्व भूमिकाओं को फिर से तय करने का दबाव बढ़ रहा है।
कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव में विदर्भ के कुछ हिस्सों, खासकर चंद्रपुर और मराठवाड़ा क्षेत्रों में हासिल की गई सीमित जीत से खुश प्रतीत हो रही है। पार्टी का दावा है कि उसने कांग्रेस चिह्न पर 41 नगर परिषद अध्यक्ष पद और 1,000 से अधिक पार्षद सीट जीतीं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि पार्टी का प्रदर्शन ‘प्रतिकूल परिस्थितियों’ के बावजूद स्थिरता को दर्शाता है और यह साबित करता है कि कांग्रेस अब जमीनी स्तर पर मुख्य विपक्षी शक्ति के रूप में उभर रही है।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘परिणाम दिखाते हैं कि कांग्रेस ने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों की तुलना में बेहतर स्थिति बनाए रखी है। हम अब भाजपा के लिए मुख्य चुनौती हैं।’’
विश्लेषकों ने हालांकि, कहा कि कांग्रेस तीन संरचनात्मक चुनौतियों का सामना कर रही है: कई क्षेत्रों में मजबूत स्थानीय नेतृत्व की कमी, जमीनी स्तर पर गठबंधन सहयोगियों के साथ कमजोर समन्वय और स्पष्ट राजनीतिक दृष्टिकोण पेश करने में कठिनाई।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भाजपा का ‘स्ट्राइक रेट’ 2017 के मुकाबले काफी बेहतर हुआ है और पार्टी ने नए क्षेत्रों में पैठ बनाई और अपना विस्तार किया।
स्थानीय चुनावों के विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा ने रत्नागिरि में चौंकाने वाली सफलता हासिल की, जो पारंपरिक रूप से शिवसेना का गढ़ रहा है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने सिंधुदुर्ग में पकड़ बनाए रखी, जिससे शिवसेना (उबाठा) का प्रभाव सीमित हुआ।
भाषा अमित पवनेश
पवनेश

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