फडणवीस, भुजबल के दबाव के कारण मराठा आरक्षण मुद्दा सुलझ नहीं पाया है: जरांगे |

फडणवीस, भुजबल के दबाव के कारण मराठा आरक्षण मुद्दा सुलझ नहीं पाया है: जरांगे

फडणवीस, भुजबल के दबाव के कारण मराठा आरक्षण मुद्दा सुलझ नहीं पाया है: जरांगे

:   Modified Date:  July 14, 2024 / 07:12 PM IST, Published Date : July 14, 2024/7:12 pm IST

जालना (महाराष्ट्र), 14 जुलाई (भाषा) आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को दावा किया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य के मंत्री छगन भुजबल के दबाव के कारण मराठा आरक्षण का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है।

जरांगे ने 13 जुलाई की मध्य रात्रि तक मराठों को आरक्षण देने में विफल रहने पर 20 जुलाई से अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा की थी।

जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में पत्रकारों से बातचीत में जरांगे ने कहा, ‘‘सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया है, हालांकि 13 जुलाई की समयसीमा बीत चुकी है। मेरा मानना ​​है कि फडणवीस और भुजबल ने सरकार पर मराठा आरक्षण की समस्या का समाधान न करने के लिए दबाव डाला होगा।’’

जरांगे सभी कुनबी (कृषक) और उनके रक्त संबंधियों को मराठा के रूप में मान्यता देने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं। फरवरी में, महाराष्ट्र विधानसभा ने विरोध प्रदर्शनों के बीच शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया।

कार्यकर्ता ने दावा किया कि मराठा उप-कोटा समिति के सदस्य राज्य मंत्री शंभूराज देसाई ने उनसे संपर्क नहीं किया है।

जरांगे ने कहा, ‘‘हमें देसाई पर भरोसा था, लेकिन उन्होंने अभी तक हमसे संपर्क नहीं किया है। हो सकता है कि उन पर कार्यकर्ताओं से बातचीत न करने का दबाव हो।’’

जरांगे ने कहा कि 20 जुलाई को मराठा नेताओं की बैठक के बारे में निर्णय लिया जाएगा और वे तय करेंगे कि समुदाय आगामी राज्य विधानसभा चुनावों में 288 उम्मीदवार उतारेगा या मुंबई में विरोध मार्च निकालेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपना अधिकार पाने के लिए मुंबई जाना होगा। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।’’

कार्यकर्ता ने भुजबल पर मराठा आरक्षण के खिलाफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भड़काने का आरोप लगाया, लेकिन विश्वास जताया कि समुदाय अंततः मंत्री की चाल को समझ जाएगा।

जरांगे ने दावा किया कि भुजबल ने धनगर समुदाय को मराठा के खिलाफ खड़ा कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के तहत कोटा की मांग करनी चाहिए।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप

 

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