मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल न किया जाए; 374 समुदायों को केवल 17 प्रतिशत आरक्षण: भुजबल
मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल न किया जाए; 374 समुदायों को केवल 17 प्रतिशत आरक्षण: भुजबल
मुंबई, एक सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि मराठाओं को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है।
ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद भुजबल ने पत्रकारों के साथ बातचीत में चेतावनी दी कि यदि ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती की गई, तो लाखों लोग प्रदर्शन करेंगे।
कार्यकर्ता मनोज जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर हैं और मराठाओं के लिए कुनबी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं, जिससे कि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके। कुनबी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का हिस्सा हैं।
भुजबल ने कहा, ‘‘अदालत पहले ही मराठाओं और कुनबियों को एक समुदाय के रूप में वर्गीकृत करने की मांग को मूर्खतापूर्ण बता चुकी है। ओबीसी के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से छह प्रतिशत खानाबदोश जनजातियों के लिए, दो प्रतिशत गोवारी समुदाय के लिए और अन्य छोटे हिस्से विभिन्न समूहों के लिए निर्धारित हैं। केवल 17 प्रतिशत आरक्षण है और यह भी 374 समुदायों के बीच साझा किया जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि मराठाओं को ओबीसी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।’’
जरांगे की मांग का लगातार विरोध कर रहे भुजबल ने दोहराया कि ऐसा कदम मौजूदा पिछड़े समुदायों के साथ अन्याय होगा।
उन्होंने दावा किया कि ओबीसी पहले से ही सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सीमित अवसरों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तथा उनके हिस्से में और कमी आने से उन्हें नुकसान होगा।
मंत्री ने कहा कि उन्होंने ओबीसी समूहों की चिंताओं से अवगत कराने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने मुख्यमंत्री को विभिन्न ओबीसी संगठनों द्वारा अपनाए गए रुख से अवगत करा दिया है और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों से समझौता नहीं होने देंगे।’’
भुजबल ने चेतावनी दी कि यदि ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती की गई तो लाखों ओबीसी प्रदर्शन करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर ओबीसी कोटा में बदलाव किए बिना मराठाओं को आरक्षण मिलता है, तो हमें कोई समस्या नहीं है।’’
भाषा
नेत्रपाल दिलीप
दिलीप

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