ट्रेन गोलीबारी: पुलिस एवं पीड़ित की पत्नी ने आरपीएफ कान्स्टेबल की जमानत का विरोध किया
ट्रेन गोलीबारी: पुलिस एवं पीड़ित की पत्नी ने आरपीएफ कान्स्टेबल की जमानत का विरोध किया
मुंबई, आठ दिसंबर (भाषा) चलती ट्रेन में अपने वरिष्ठ सहकर्मी और तीन अन्य यात्रियों की हत्या के आरोपी एवं बर्खास्त आरपीएफ कांस्टेबल चेतनसिंह चौधरी के मन में एक विशेष समुदाय के प्रति ‘‘क्रोध और द्वेष’’ का भाव था और उसने अपने इस कृत्य के लिये कोई पछतावा नहीं दिखाया। उसकी जमानत पर अपनी प्रतिक्रिया में पुलिस ने यह बात कही ।
इस साल 31 जुलाई को, चौधरी ने जयपुर-मुंबई सेंट्रल एक्सप्रेस ट्रेन में पालघर के पास अपने वरिष्ठ सहयोगी सहायक उप निरीक्षक टीका राम मीणा और तीन यात्रियों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी थी। कुछ समय बाद मीरा रोड पर ट्रेन को रोके जाने के बाद चौधरी को पकड़ा गया था।
रेलवे पुलिस की लिखित प्रतिक्रिया ने कहा गया है कि यदि जमानत दी जाती है, तो यह कानून के बारे में एक नकारात्मक छवि बना सकता है और कुछ धार्मिक समूहों के बीच भय, घबराहट और असुरक्षा उत्पन्न कर सकता है।
एक पीड़ित के रिश्तेदार ने अधिवक्ताओं करीम पठान और फज़लुर्रहमान शेख के माध्यम से, चौधरी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी एक ‘आतंकवादी दिमाग वाला व्यक्ति’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ है।
चौधरी को घटना के बाद रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पद से बर्खास्त कर दिया गया है। वह वर्तमान में न्यायिक हिरासत में यहां से लगभग 560 किलोमीटर की दूरी पर अकोला में एक जेल में बंद है।
आरोपी ने पिछले महीने अधिवक्ताओं अमित मिश्रा और पंकज घिल्डियाल के माध्यम से दायर अपनी जमानत याचिका में कहा कि वह ‘‘भुतहा दुनिया के भयावह भ्रम’’ की समस्या से पीड़ित है और कुछ ‘अजीब कृत्य’ करता रहा है।
पुलिस ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी ने ‘‘सोच समझकर और इरादे के साथ’’ वारदात को अंजाम दिया है ।
पुलिस ने कहा, ‘अगर इस तरह के व्यक्ति को जमानत दी जाती है, तो इससे पीड़ितों के परिवारों और समाज दोनों के लिए न्यायिक प्रणाली में विश्वास में कमी आ सकती है। अपराधियों के बीच कानून का कोई डर नहीं होगा।’’
इसके अलावा राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की लिखित प्रतिक्रिया में कहा गया, ‘‘ऐसा लगता है कि उसके द्वारा किए गए अपराध को लेकर उसके मन में कोई पछतावा नहीं है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘इसके बजाय, यह देखा जा सकता है कि आरोपी के मन में किसी विशेष धार्मिक समुदाय के खिलाफ बहुत क्रोध और नफरत है। यदि जमानत दी जाती है, तो वह फिर से इसी तरह का अपराध कर सकता है और दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक असहमति/तनाव पैदा कर सकता है।’’
इस बीच, पीड़ित असगर शेख की पत्नी उमस खातून ने चौधरी की जमानत के जवाब में कहा कि यह मामला ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है। उसने कहा कि आरोपी, जिसे एक रक्षक होना चाहिए था, उसने चार निर्दोष व्यक्तियों को मार डाला।
उसने कहा, ‘‘आरोपी के मन में एक विशेष समुदाय के लिए नफरत का जहर भरा हुआ है, जो चश्मदीदों के बयानों से स्पष्ट है।’’
उसने कहा कि आरोपी के आचरण और अपराध को अंजाम देने के तरीके से प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि उसने चार निर्दोष व्यक्तियों की हत्या कर दी।’’
पीड़ित की पत्नी ने कहा कि यह गौर करने की जरूरत है कि पर्याप्त संख्या में चश्मदीद गवाह होने के साथ ही एक वीडियो क्लिप है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है जिसमें आरोपी का मुस्लिम समुदाय के प्रति घृणा की भावना को देखा जा सकता है और सुना जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि आरोपी का कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसके दिमाग में घृणा की विषैली भावना ने उसे वर्तमान जघन्य अपराध करने के लिए प्रेरित किया।
इस बीच, पुलिस ने आरोपी को शुक्रवार को अदालत में पेश नहीं किया।
डिंडोशी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए जेड खान ने एक और पेशी वारंट जारी किया और इस मामले की सुनवायी 16 दिसंबर तक स्थगित कर दी।
भाषा अमित रंजन
रंजन

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