नागपुर (महाराष्ट्र), 20 मई (भाषा) राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम के ‘फोरेंसिक मेडिसिन एंड टोक्सीकोलॉजी’ विषय से समलैंगिकता जैसी यौन गतिविधियों के मेडिकल वर्गीकरण से ‘अप्राकृतिक’ शब्द को हटा दिया है। यह सिफारिश करने वाली विशेषज्ञ समिति का हिस्सा रहे एक मेडिकल विशेषज्ञ ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी।
एमबीबीएस पाठ्यक्रम में ‘एलजीबीटीक्यूआईए-प्लस’ समुदाय से जुड़े मुद्दों के हल के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर एनमएसी के यूजी (अंडर ग्रेजुएट) मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की अध्यक्ष अरूणा वणिकर ने यह विशेषज्ञ समिति गठित की थी।
महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, सेवाग्राम में फोरेंसिक साइंस के प्रोफेसर एवं समिति में शामिल डॉ इंद्रजीत खांडेकर ने कहा, ‘‘शुरूआत में मेडिकल साइंस समलैंगिकता को अप्राकृतिक मानता था, इसलिए इसे विकार की श्रेणी में रखा गया था। अब डायगोनिस्टक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसॉडर्स ने इसे विकार की श्रेणी से हटा दिया है।’’
भाषा
सुभाष माधव
माधव
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