मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने के सरकारी आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर

मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने के सरकारी आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर

मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने के सरकारी आदेश के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर
Modified Date: September 11, 2025 / 12:38 pm IST
Published Date: September 11, 2025 12:38 pm IST

मुंबई, 11 सितंबर (भाषा) शिक्षा और सरकारी सेवाओं में आरक्षण के लिए मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए बंबई उच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

इस फैसले के खिलाफ दो नई याचिकाएं दायर की गई हैं, वहीं एक अन्य व्यक्ति, जिसने पहले मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने के खिलाफ याचिका दायर की थी, ने भी हाल में सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए एक आवेदन दायर करने का अनुरोध किया है।

याचिकाओं में दावा किया गया है कि सरकार का फैसला मनमाना, असंवैधानिक और कानून की दृष्टि से गलत है, और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

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एक याचिका में कहा गया है कि सरकारी आदेश मराठा समुदाय के सदस्यों को खुश करने और उन्हें शांत करने के लिए राजनीतिक स्वार्थ के अलावा कुछ नहीं हैं।

इसमें दावा किया गया है कि सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के मुद्दे पर खुद के प्रति ही विरोधाभास व्यक्त कर रही है।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ द्वारा इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई किए जाने की संभावना है।

पहले इस संबंध में याचिका दाखिल करने वाले मनोज सासाने ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष अपनी याचिका का उल्लेख किया और इसमें संशोधन की अनुमति मांगी ताकि हालिया सरकारी आदेश को भी चुनौती दी जा सके।

पीठ ने उनसे इस तरह के संशोधन के लिए एक आवेदन दायर करने को कहा।

ओबीसी वेल्फेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष सासाने ने अपनी याचिका में 2004 से जारी विभिन्न सरकारी फैसलों को चुनौती दी थी, जिनमें मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी।

पिछले हफ्ते, अधिवक्ता विनीत विनोद धोत्रे ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की, जिसमें दावा किया गया कि सरकारी आदेश में मनमाने ढंग से मराठों को ओबीसी का दर्जा दे दिया है, जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली और सामाजिक रूप से उन्नत समुदाय हैं।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार का यह फैसला वास्तविक ओबीसी समुदायों के आरक्षण के हिस्से को कम करके उनके साथ भेदभाव करता है।

एक अन्य ट्रस्ट – शिव अखिल भारतीय वीरशैव युवक संगठन – द्वारा दायर एक अन्य याचिका में भी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की कई रिपोर्टों का हवाला देते हुए जीआर को चुनौती दी गई थी कि मराठा और कुनबी एक ही नहीं हैं।

याचिका में कहा गया है कि सरकार एक बार फिर यह प्रचार करने की कोशिश नहीं कर सकती थी कि मराठा और कुनबी एक ही हैं।

याचिकाओं में सरकारी आदेश को रद्द करने और मामले की सुनवाई तक इसके कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी।

मराठा समुदाय के पात्र व्यक्तियों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का सरकार का निर्णय आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आज़ाद मैदान में पांच दिनों तक अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने के बाद आया।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा


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