'Sanskrit should be made official language, demands former Chief Justice...

‘संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाया जाए, पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने की मांग…

'संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाया जाए, पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने की मांग : 'Sanskrit should be made official language, demands former Chief Justice...

Edited By :   Modified Date:  January 27, 2023 / 09:11 PM IST, Published Date : January 27, 2023/8:26 pm IST

नागपुर । भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे ने शुक्रवार को संस्कृत का उपयोग अदालतों में करने समेत इसे देश की आधिकारिक भाषा बनाने की वकालत करते हुए कहा कि 1949 में अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार संविधान निर्माता डॉ बी आर आंबेडकर ने भी इसका प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार, अदालतों में आधिकारिक भाषाओं के रूप में हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग किया जाता है, जबकि प्रत्येक प्रधान न्यायाधीश को ज्ञापन मिलते हैं, जिनमें संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं को मंजूरी देने की मांग की जाती है, जिनका इस्तेमाल अब जिला स्तरीय न्यायपालिका और कुछ उच्च न्यायालयों में किया जाता है। बोबडे संस्कृत भारती द्वारा आयोजित अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के स्तर पर आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, हालांकि अनेक उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय भाषाओं में आवेदनों, याचिकाओं और यहां तक कि दस्तावेजों को स्वीकार करना होता है।

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बोबडे ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह मुद्दा अनसुलझा रहना चाहिए। यह 1949 से अनसुलझा है। शासन और न्याय के प्रशासन में संवादहीनता का बड़ा खतरा है, हालांकि यह इस बारे में चर्चा की जगह नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘11 सितंबर, 1949 के अखबारों में खबर थी कि डॉ आंबेडकर ने संस्कृत को भारत संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की पहल की थी। संस्कृत की शब्दावली हमारी अनेक भाषाओं में समान है। मैं स्वयं से यह प्रश्न पूछता हूं कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा क्यों नहीं बनाया जा सकता, जैसा कि डॉ आंबेडकर ने प्रस्ताव रखा था।’’ पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संस्कृत को आधिकारिक भाषा बनाने का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि 95 प्रतिशत भाषा का किसी धर्म से नहीं बल्कि दर्शन, कानून, विज्ञान, साहित्य, शिल्पकला, खगोलशास्त्र आदि से लेना-देना है।

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उन्होंने कहा, ‘‘यह (संस्कृत) भाषा दक्षिण या उत्तर भारत की नहीं है और धर्मनिरपेक्ष उपयोग के लिए यह पूरी तरह सक्षम है। नासा के एक वैज्ञानिक ने कम्प्यूटरों के लिए इसे उपयुक्त पाया, जिन्होंने ‘संस्कृत में ज्ञान का वर्णन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ विषय पर शोधपत्र लिखा था। उन्होंने यह भी कहा कि यथासंभव कम से कम शब्दों में संदेश संप्रेषण के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।’’ बोबडे ने एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि 43.63 प्रतिशत नागरिक हिंदी बोलते हैं, वहीं केवल छह प्रतिशत अंग्रेजी बोलते हैं, जो ग्रामीण इलाकों में तो महज तीन प्रतिशत लोगों द्वारा बोली जाती है। उन्होंने कहा कि 41 प्रतिशत अमीर लोग अंग्रेजी बोलते हैं, वहीं गरीबों में इस भाषा को बोलने वाले लोगों की संख्या केवल दो प्रतिशत है। बोबडे ने कहा कि संभवत: संस्कृत एकमात्र भाषा है, जो हमारी क्षेत्रीय भाषाओं के सह-अस्तित्व में रह सकती है, जिनमें से 22 संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हैं।

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पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह बात मैं भाषा विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद कह रहा हूं, जो इस बात से सहमत हैं कि भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में एक दूसरे के साथ संवाद करते समय कई संस्कृत शब्दों का उपयोग करते हैं। उर्दू सहित प्रत्येक क्षेत्रीय भाषा में संस्कृत मूल के शब्द हैं। असमिया, हिंदी, तेलुगु, बांग्ला और कन्नड जैसी भाषाओं में 60-70 प्रतिशत तक संस्कृत के शब्द होते हैं।’’हालांकि, बोबडे ने माना कि संस्कृत भाषा को अपनाना रातोंरात संभव नहीं है और इसमें कई साल लग सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इस भाषा को इस तरह पढ़ाना होगा कि इसके कोई धार्मिक निहितार्थ नहीं हैं। जिस तरह अंग्रेजी को व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में पढ़ाया जाता है। एक शब्दावली बनानी होगी और इस भाषा को राजभाषा अधिनियम में जोड़ना होगा।’’

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