आईटी नियमों के तहत एफसीयू गठित होने से अपूरणीय क्षति नहीं होगी: उच्च न्यायालय |

आईटी नियमों के तहत एफसीयू गठित होने से अपूरणीय क्षति नहीं होगी: उच्च न्यायालय

आईटी नियमों के तहत एफसीयू गठित होने से अपूरणीय क्षति नहीं होगी: उच्च न्यायालय

:   Modified Date:  March 11, 2024 / 08:52 PM IST, Published Date : March 11, 2024/8:52 pm IST

मुंबई, 11 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर फर्जी और झूठी सामग्री की पहचान करने के लिए संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत तथ्य-जांच इकाई (एफसीयू) स्थापित करने पर अंतरिम रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया और कहा कि इससे कोई गंभीर और अपूरणीय क्षति नहीं होगी।

न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की एकल पीठ ने कहा कि सरकार से यह कहने के लिए कोई मामला नहीं बनता है कि वह आईटी नियमों के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई लंबित रहने तक एफसीयू को अधिसूचित नहीं करे।

यह आदेश स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा और अन्य द्वारा दायर आवेदनों पर पारित किया गया है जिनमें आईटी नियमों के खिलाफ उनकी याचिकाओं का अंतिम निपटारा होने तक एफसीयू की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

अदालत ने कहा कि मामला सरकार के पक्ष में झुकता है क्योंकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि राजनीतिक राय, व्यंग्य और कॉमेडी ऐसे पहलू हैं जिन्हें केंद्र सरकार के कामकाज से ना जोड़ा जाए।

उच्च न्यायालय ने कहा कि एफसीयू को अधिसूचित करने से ऐसी स्थिति नहीं बनेगी जिसे बदला नहीं जा सके क्योंकि अधिसूचना के बाद की गई कोई भी कार्रवाई आईटी नियमों की वैधता पर इस अदालत के अंतिम आदेशों के अधीन होगी।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को आशंका है कि यदि एफसीयू को अधिसूचित किया जाता है तो राजनीतिक चर्चाओं या टिप्पणियों, राजनीतिक व्यंग्य आदि के रूप में सूचनाओं के आदान-प्रदान को निशाना बनाया जा सकता है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि एफसीयू का मकसद केवल सरकारी कामकाज से संबंधित है और इसका उद्देश्य राजनीतिक विचारों, व्यंग्य, कटाक्ष या राजनीतिक टिप्पणियों को रोकने या दबाने का या उसकी कोशिश करने का नहीं है।

न्यायमूर्ति चंदुरकर ने कहा कि प्रथम दृष्टता उनका विचार है कि केंद्र की ओर से अपनाया गया रुख आवेदकों की इस आशंका को दूर करता है कि केंद्र सरकार के कामकाज की आड़ में एफसीयू राजनीतिक विचारों या टिप्पणियों, कटाक्ष, राजनीतिक व्यंग्य या असहमति की अभिव्यक्ति को रोकेगा।

जनवरी में न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने खंडित फैसला दिया था जिसके बाद आईटी नियमों के खिलाफ दायर याचिकाएं न्यायमूर्ति चंदुरकर के पास भेज दी गईं।

जहां न्यायमूर्ति पटेल ने नियमों को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया, वहीं न्यायमूर्ति गोखले ने उन्हें बरकरार रखा और याचिकाएं खारिज कर दीं थी।

छह अप्रैल 2023 को केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्थानों के लिए दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी जिसमें सरकार से संबंधित फर्जी, गलत या भ्रामक ऑनलाइन सामग्री को चिह्नित करने के लिए एफसीयू का प्रावधान शामिल था।

भाषा नोमान माधव

माधव

 

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