जिस देश का आम आदमी महान होता है वह राष्ट्र महान होता हैः मोहन भागवत

जिस देश का आम आदमी महान होता है वह राष्ट्र महान होता हैः मोहन भागवत

जिस देश का आम आदमी महान होता है वह राष्ट्र महान होता हैः मोहन भागवत
Modified Date: March 27, 2024 / 10:10 pm IST
Published Date: March 27, 2024 10:10 pm IST

मुंबई, 27 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि जिस देश का आम आदमी महान होता है, वह राष्ट्र महान होता है और प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भागवत ने मुंबई के विले पार्ले इलाके में लोकमान्य सेवा संघ के एक समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

उन्होंने कहा, ”जिस देश का आम आदमी महान होता है वह राष्ट्र महान होता है। इसलिए सामाजिक स्तर पर सुधार की जरूरत है। किसी राष्ट्र का उत्थान और पतन समाज की सोच और मूल्यों से जुड़ा होता है। ”

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भागवत ने कहा कि 1925 में आरएसएस की स्थापना करने वाले केशव हेडगेवार अपने प्रारंभिक सामाजिक जीवन में स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक से प्रेरित रहे।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे विंस्टन चर्चिल का उदाहरण देते हुए, भागवत ने कहा कि वह जर्मनी के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए लगभग तैयार थे, लेकिन उन्होंने लोगों की बात सुनी और महसूस किया कि वो रसोई में इस्तेमाल होने वाले चाकू से भी (दुश्मनों का) मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।

भागवत ने कहा, “उन्होंने (चर्चिल ने) अपना सबसे प्रसिद्ध भाषण (ब्रिटेन की) संसद में दिया, जिससे (जनता का) मनोबल बढ़ा और बाद में इंग्लैंड ने युद्ध जीत लिया। उन्होंने इसका श्रेय इंग्लैंड के लोगों को दिया…।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उन्होंने चिंता जताई कि अत्यधिक भौतिकवादी जीवनशैली ने समाज पर कब्जा कर लिया है और यह पारिवारिक बंधनों को प्रभावित कर रही है।

उन्होंने कहा, ” देश में कई वर्षों से चरम भौतिकवादी विचार हावी रहे हैं। परिवार एकल हो गए हैं, और अहंकार पर नियंत्रण के लिए कोई नहीं है। मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि उच्च शिक्षा व आय वाले परिवार विघटित हैं। कम आय वालों के बीच ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिलता। हमारे समाज और हमारे परिवारों को बेहतर जुड़ाव की जरूरत है।”

भागवत ने अफसोस जताया कि नयी पीढ़ी शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप से परिचित नहीं है।

भाषा पवनेश माधव

माधव


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