नागपुर यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख साफ करे: उद्धव ठाकरे

नागपुर यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख साफ करे: उद्धव ठाकरे

नागपुर यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख साफ करे: उद्धव ठाकरे
Modified Date: December 10, 2022 / 08:35 pm IST
Published Date: December 10, 2022 8:35 pm IST

जालना/नागपुर (महाराष्ट्र), 10 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागपुर यात्रा से एक दिन पहले शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मोदी को महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख साफ करना चाहिए जो एक बार फिर गहराता जा रहा है।

विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने कर्नाटक के मुख्मयंत्री बसवराज बोम्मई के इस बयान की निंदा की है कि महाराष्ट्र के सांसदों एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय को सीमा विवाद मामले में जल्द फैसला सुनाना चाहिए क्योंकि दोनों राज्यों के बीच स्थिति ‘‘तनावपूर्ण’’ होती जा रही है तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में कानून व्यवस्था के मुद्दे सामने आए हैं ।

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इस विवाद ने भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है जो दोनों राज्यों में सत्तासीन है।

ठाकरे ने जालना जिले में 42वें मराठवाड़ा साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (रविवार को) नागपुर-मुंबई एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करने आ रहे हैं । हम उनका स्वागत करते हैं। उन्हें अपनी यात्रा के दौरान महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ’’

शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष ने कहा, “ उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री के बारे में बोलना चाहिए जो महाराष्ट्र के कुछ गांवों पर दावा कर रहे हैं।”

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच दशकों पुराना सीमा विवाद दोनों राज्यों के नेताओं द्वारा विवादास्पद बयान देने से पिछले कुछ हफ्तों में गरमा गया है। सीमा के दोनों ओर से हिंसा की घटनाएं सामने आयी हैं।

यह विवाद 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने के बाद से ही है। महाराष्ट्र कर्नाटक के बेलगावी पर दावा करता है जो भूतपूर्व बम्बई प्रेसिडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि वहां पर मराठी भाषी लोगों की संख्या अच्छी खासी है। महाराष्ट्र का कर्नाटक के मराठी भाषी 814 गांवों पर भी दावा है।

कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम तथा 1967 की महाजन आयोग रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर सीमांकन अंतिम है।

बावनकुले ने नागपुर में कहा कि उच्चतम न्यायालय को सीमा विवाद से जुड़ी रिट याचिकाओं पर त्वरित सुनवाई करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़णवीस सरकार ने शीर्ष अदालत में अपना पक्ष दृढ़ता से रखा है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘मुझे लगता है कि दोनों पक्षों द्वारा कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया जाना चाहिए। कर्नाटक के मुख्यमंत्री क्या कहते हैं या हम क्या कहते हैं इसका कोई मतलब नहीं है। शीर्ष अदालत में मामले का नतीजा आने पर यह मुद्दा स्थायी रूप से हल हो जाएगा।’

बावनकुले ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेताओं पर राजनीतिक लाभ के लिए माहौल को खराब करने का आरोप भी लगाया।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय से अनुरोध कर इस मामले को त्वरित रूप से लिया जाना चाहिए क्योंकि स्थिति तनावपूर्ण होती जा रही है तथा कानून व्यवस्था की घटनाएं सामने आ रही हैं।’’

उन्होंने बोम्मई से भी महाराष्ट्र के लोगों के हितों के खिलाफ बयान नहीं देने की अपील की।

शाह से मिलने वाले प्रतिनिधिनमंडल में शामिल शिवसेना (यूबीटी) के नेता और मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद अरविंद सावंत ने मुंबई में कहा कि शाह ने इस मुद्दे का गंभीरता से संज्ञान लिया था और आश्वासन दिया था कि वह दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएंगे।

सावंत ने कहा कि हालांकि बोम्मई के बयान से पता चलता है कि वह केंद्र सरकार का सम्मान नहीं करते। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि ये टिप्पणियां अगले साल कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की गई हैं और केंद्र सरकार इनसे सहमत है।

सावंत ने दावा किया, “जब मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, तो कर्नाटक ने आगे बढ़कर बेलगाम का नाम बदलकर बेलगावी कर दिया। फिर उसने वहां एक विधान भवन का निर्माण किया और हर साल विधानसभा का सत्र आयोजित करता है। यह सब अवैध है।”

शिवसेना (यूटीबी) के साथ महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने बोम्मई की आलोचना करते हुए कहा, “क्या कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बयान केंद्रीय गृह मंत्री और हमारे देश के प्रति अपमानजनक नहीं है? ’’

आम आदमी पार्टी नेता प्रीति शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘बोम्मई को अमित शाह का समर्थन प्राप्त रहा है। अब वह कह रहे हैं कि अमित शाह सीमा विवाद पर व्यर्थ हैं। यहां वाकई प्रभारी है कौन? क्या महाराष्ट्र सरकार गुजरात को हमारी परियोजनाएं बेचने के बाद अब हमारे गांवों को अपने भाजपा पड़ोसी को बेच देगी।’’

बोम्मई ने शुक्रवार रात ट्वीट किया था, “यह मामला उच्चतम न्यायालय में है। उच्चतम न्यायालय में हमारा मामला वैध और मजबूत है। हमारी सरकार सीमा के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी।”

भाषा राजकुमार माधव

माधव


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