जीशान सिद्दीकी की सुरक्षा में कटौती के पीछे कुछ ‘दुर्भावना’ : अदालत
जीशान सिद्दीकी की सुरक्षा में कटौती के पीछे कुछ ‘दुर्भावना’ : अदालत
मुंबई, 11 दिसंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि दिवंगत राकांपा नेता और पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी की सुरक्षा कम करने के पीछे कुछ दुर्भावना प्रतीत होती है। बाबा सिद्दीकी की पिछले साल अक्टूबर में हत्या कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति आर.आर. भोंसले की पीठ ने बाबा सिद्दीकी की पत्नी शहजीन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं, जिसमें उन्होंने पति की हत्या की जांच को एक “स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी” को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।
बांद्रा में 12 अक्टूबर, 2024 की रात को उनके बेटे जीशान के कार्यालय के बाहर तीन हमलावरों ने सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
सिद्दीकी की हत्या के बाद, जीशान ने आवेदन दिया था जिसके बाद उसे पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी।
शहजीन के वकील प्रदीप घरत ने बृहस्पतिवार को अदालत को बताया कि शहजीन द्वारा याचिका दायर किए जाने के बाद पुलिस ने उनकी सुरक्षा कम कर दी,
इसके बाद पीठ ने पुलिस से उस समिति की बैठक का कार्यवृत्त (एमओएम) मांगा जिसमें जीशान की सुरक्षा कम करने का निर्णय लिया गया था।
लोक अभियोजक मनकुंवर देशमुख ने पीठ के समक्ष पुलिस द्वारा तैयार की गई खतरे की आशंका रिपोर्ट (टीपीआर) वाली एक फाइल प्रस्तुत की, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति/व्यक्तियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने/कम करने/हटाने के बारे में निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
उन्होंने याचिका दायर होने के बाद सुरक्षा कम किए जाने के दावों का खंडन किया।
हालांकि, पीठ ने उन विवरणों की जानकारी मांगी जहां जीशान की सुरक्षा कम करने का निर्णय लिया गया था।
पीठ ने कहा, “यह निष्कर्ष कहां है कि खतरे की कोई आशंका ही नहीं है? सुरक्षा कम करने के लिए किसी भी प्राधिकरण द्वारा दिए गए तर्क हमें दिखाए।”
यह स्वीकार करते हुए कि बैठक हर मामले के लिए नहीं होती, देशमुख ने कहा कि कभी-कभी यह टीपीआर रिपोर्ट के आधार पर तय किया जाता है।
अदालत के एक सवाल के जवाब में देशमुख ने कहा कि जीशान की सुरक्षा इस साल आठ नवंबर से कम कर दी गई थी।
इसके बाद पीठ ने टिप्पणी की, “प्रथम दृष्टया इसमें दुर्भावना प्रतीत होती है। क्योंकि यह किसी समिति द्वारा तय नहीं किया गया है। यह किसी अधिकारी/अधिकारियों द्वारा तय किया गया है, जिन्होंने सुरक्षा को मंजूरी दी और कम की।”
पीठ ने राज्य के महाधिवक्ता को मामले में पेश होने का निर्देश दिया।
भाषा प्रशांत शोभना
शोभना

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