रायगढ़ जन्मभूमि है राज्य की उभरती लोक गायिका आरती का बचपन रायगढ़ में बीता है। वहीं आदर्श बालमंदिर में प्रारंभिक पढ़ाई एवं हायर सेकेंडरी कार्मेल कॉन्वेंट उ. मा. विद्यालय रायगढ़ से करने के बाद मैंने स्नातक - बैचलर ऑफ़ कम्प्यूटर एप्लीकेशन्स् दिशा ऑनलाईन , सी.वी.रमन युनिवर्सिटी बिलासपुर से किया फिर एन.टी.टी डिप्लोमा नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग रायपुर से की। संप्रति लोक गायन के साथ राजधानी रायपुर में निजी शैक्षणिक संस्थान में सांस्कृतिक प्रभारी के पद में 5 वर्ष कार्यरत रहीं। इसी तरह लोकगायन में खुद को तराशने में प्रयास जारी रहा।
5 वर्षों से जारी है कला साधना प्रसिद्ध लोक गायिका आरती का लोकसंगीत - गायन विगत 5 सालों से जारी है। वहीं लोकगीत की शुरुआत चंद्रभूषण वर्मा के लोक कला मंच - लोकछाया से किया था वहीं से छत्तीसगढ़ी लोकसंगीत के प्रति रुचि और भी ज्यादा बढ़ी साथ ही स्वयं गीत लिखने में भी दिलचस्पी रही। वहीं छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध कंपनी सुंदरानी विडियो वर्ल्ड से मोहन सुंदरानी कृत पहला एल्बम दिवाली पर्व पर आया था जिसमें छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गीत गौरा -गौरी और सुवा गीत थे व सभी हिंदी भक्ति गीत लखी सुंदरानी कृत रहे। इसी तरह निर्माता - निर्देशक मोहन सुंदरानी एवं लखी सुंदरानी कृत सारे एल्बम आए। जिसे लोगों का भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिल मिला है जिससे आरती भी उत्साहवर्धन हुआ है।
संगीत में रुची बचपन से रही आरती को पढ़ाई के साथ - साथ गीत-संगीत व लोक कला के प्रति बचपन से बेहद लगाव है। यही कारण है कि उनकी संगीत की शिक्षा इंदिराकला संगीत विश्वविद्यालय - खैरागढ़ संचालित कमलादेवी संगीत महाविद्यालय, रायपुर ,छत्तीसगढ़ से जारी है शास्त्रीय संगीत स्नातक बीपीए बैचलर ऑफ़ पर्फ़ाेर्मिंग आर्ट्स, गुरु - दीपक बेड़ेकर व सुगम संगीत डिप्लोमा गीतांजली एवं लोक संगीत, चंद्रभूषण वर्मा के सानिध्य में सीखने का सुखद अवसर मिला। यहीं से संगीत कला यात्रा की शुरुआत हुई। वर्तमान में कमलादेवी संगीत महाविद्यालय से शास्त्रीय संगीत में एमपीए साथ ही लोकसंगीत का अध्ययन जारी है।
आरती सिंह कहती हैं जीवन में एक अच्छा कलाकार होने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है एक अच्छा इंसान होना। दर्शक और श्रोतागण एक कलाकार की रिकॉर्डिंग हुई आवाज़ और मंचीय प्रस्तुति से जिस खुशी का अनुभव करते हैं, उस कलाकार से साधारण बात करने मे भी सभी को वही खुशी और सम्मान महसूस होना चाहिये। आदर्श से सीखा है काम करना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना, लोकसंगीत में समर्पण । जीवन भर अपनी आवाज़ अपने लोक कला मंच लोकचंदा और गीत-संगीत के माध्यम से छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा निरंतर जारी रहेगी ।
प्रेरणा स्त्रोत छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध वरिष्ठ लोक गायिका कविता वासनिक जी एवं छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गीतकार, संगीतकार एवं गायक साथ ही महतारी लोक कला मंच के संचालक चंद्रभूषण वर्मा है आदर्श । इन दोनों कलाकारों से बहुत कुछ सीखा है। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को संजोना, लोक कला मंच का संचालन, लोक गीत गायन, गीत लिखना और कॉमर्शियल गानों में स्वर के लिये किस तरह के गीतों का चयन किया जाए..छत्तीसगढ़ी लोक कला के क्षेत्र मे चन्द्रभूषण वर्मा और कविता वासनिक को आदर्श मानती हैं लोकगायिका आरती सिंह।
महतारी की सेवा में छत्तीसगढ़ी लोक गीत-संगीत बहुत ही विस्तृत है इससे प्रेम और आत्मिक लगाव है आरती सिंह को।हमेशा इस पर कार्य करना है चाहती हैं लोकगायिका आरती सिंह सदैव छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा में समर्पित हैं वहीं उन्हें छत्तीसगढ़ी परंपरा को आगे बढ़ाना है ताकि विश्व में लोक कला व संस्कृति का मान बढ़े। छत्तीसगढ़ी लोकगायिका की वेशभूषा में लोक गीतों पर स्वर देते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस करती लोकगायिका आरती सिंह का जीवन लोकगीत - संगीत में समर्पित है।
वहीं प्रतिभाशाली लोक लोकगायिका आरती सिंह जो अपनी मधुर आवाज से और छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा से छत्तीसगढ़ी लोक गीत की खुशबू को सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड के बैनर तले छत्तीसगढ़ी एल्बमों के जरिए सुवासित कर शहर व राज्य का मान देश में बढ़ा रहीं हैं।
लोकचंदा - लोक कला मंच लोकगायिका आरती सिंह के मंच का नाम छत्तीसगढ़ी लोक सांस्कृतिक कला मंच लोकचंदा है।चंद्रमा को अपने जीवन के लिये लिए शुभ मानती हैं आरती जिस वजह से मंच का नाम लोकचंदा रखा गया। मुख्य स्वर स्वयं आरती सिंह के हैं , साथ ही मंच में गायन,वादन,नृत्य व उद्घोषक सभी 40 कलाकार हैं। लोकचंदा लोक कला मंच द्वारा जिला स्तरीय ,राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय समारोह में प्रस्तुति दे कर राज्य का मान बढ़ाया गया है। लोकचंदा लोक कला मंच के कई गीतों में स्वयं आरती सिंह द्वारा गीत - संगीत व स्वर दिया गया है। आशीष राज सिंघानिया के निर्देशन में हुए राष्ट्रीय स्तरीय महोत्सव जश्न-ए-ज़बाँ के रायपुर एवं बिलासपुर के आयोजन में लोक गायिका आरती सिंह श्लोकचंदाश् द्वारा सफल प्रस्तुति दी गई। छत्तीसगढ़ के लोक पारंपरिक तीज-त्योहारों एवं महोत्सव मे लोकचंदा की प्रस्तुति दी जाती है।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी आरती सिंह एक बेहतरीन सिंगर के अतिरिक्त एक अच्छी संगीतकार व गीतकार भी हैं जिसमें अपने मेहनत व प्रतिभा से गीत में चार चाँद लगा देते हैं। वहीं इन्होनें संत कबीर जी के 80 दोहे को अपनी मधुर आवाज दे चुकी हैं। वर्तमान में आरती सिंह अपने जन्मस्थान रायगढ़ के लिये एक विशेष प्रोजेक्ट की तैयारी कर रही हैं जो जल्दी ही दर्शकों श्रोताओं तक पहुंचेगा।
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जारी है छत्तीसगढ़ी प्रोजेक्ट वर्तमान में छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के अंतर्गत छत्तीसगढ़ी पारंपरिक गीत जैसे छ.ग. महतारी वंदना, गौरी - गौरा, सुआ, पंथी, भोजली, होली, जसगीत, हरेली, छेरछेरा, करमा गीत, ददरिया, तीजा, सोहर, छत्तीसगढ़ी शिव भजन, विश्वकर्मा भजन, आल्ह धुन पर देवी भ्रामरी की गाथा में आरती सिंह द्वारा स्वर दिया गया।
इसी तरह हिंदी प्रोजेक्ट के अंतर्गत कई भक्ति मंत्र, अमृतवाणी, आरतियां ,स्तुति , शिव तांडव स्रोतम् , लिंगाष्टकम, महिषासुरमर्दिनी जैसे स्रोत पर स्वर देने का सुखद अवसर मिला जिसे तमाम कला प्रेमियों का बेहद स्नेह व आशीष मिल रहा है।
अगस्त 2022 में कृष्णा पब्लिक स्कूल , सरोना ,रायपुर द्वारा आयोजित झूम तराना महोत्सव, गायन, वादन, नृत्य, चित्रकला, मॉडलिंग आदी कई कलाओं की भव्य प्रतिस्पर्धा में लोकगायिका आरती सिंह को ‘गुरु सम्मान’ से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति में समर्पित भाव एक विशेष योगदान के लिये दिसंबर 2020 को माननीय मुख्यमंत्री भुपेश बघेल द्वारा लोकगायिका आरती सिंह को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया।
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