रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाएंगे चारों शंकराचार्य! अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताई वजह, बोले- रामानन्द संप्रदाय को सौंपे राम जन्मभूमि

Shankaracharya on rammandir pran pratishtha: हमारा धर्म है कि शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। वहां इसका पालन नहीं हो रहा। राममंदिर का निर्माण अभी अधूरा है। उन्होंने कहा शंकराचार्यों की बात सही है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाएंगे चारों शंकराचार्य! अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताई वजह, बोले- रामानन्द संप्रदाय को सौंपे राम जन्मभूमि
Modified Date: January 9, 2024 / 04:23 pm IST
Published Date: January 9, 2024 4:21 pm IST

Shankaracharya on rammandir pran pratishtha: रायपुर। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होने जा रही है। मगर इस भव्य समारोह में चारों शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे। पुरी पीठ के स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, और द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने तो खुलेतौर पर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से दूर रहने का ऐलान कर दिया है।

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इसी बीच ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा – चारों शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जा रहे। कोई द्वेष नहीं है। हमारा धर्म है कि शास्त्र विधि का पालन करें और करवाएं। वहां इसका पालन नहीं हो रहा। राममंदिर का निर्माण अभी अधूरा है। उन्होंने कहा शंकराचार्यों की बात सही है।

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यहां सुनिए उन्होंने क्या कहा —

सोशल मीडिया पर हिन्दू धर्म के सर्वोच्च चारों पीठ के शंकराचार्यों के वीडियो और बयान राजनीतिक संगठन और धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों ने साझा किए हैं। इसके पहले पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का रायपुर के रावांभाठा इलाके में कार्यक्रम में मीडिया से चर्चा में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के तौर-तरीकों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का न्यौता मिला है। यह कहा गया है कि शंकराचार्य पुरी एक व्यक्ति के साथ आना चाहें तो आ सकते हैं।

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पुरी के शंकराचार्य ने आगे कहा कि अगर लिखा होता कि सौ व्यक्तियों के साथ बुलाया जाता तो भी मैं नहीं जाता। मैं सैद्धांतिक व्यक्ति हूं, मोदीजी लोकार्पण करें, मूर्ति का स्पर्श करें, तो वहां मैं ताली बजाकर जय-जय करूंगा क्या? मुझे पद नहीं, पद तो सबसे बड़ा प्राप्त ही है, लेकिन आप थोड़ा सोच-विचार कीजिए, धर्म क्या है? क्या नहीं है। योगी भी हो गए मोदीजी, योगासन भी सिखाते हैं। धार्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप ही कर रहे हैं। वहां जाकर शंकराचार्य ताली बजाएंगे। मोदीजी ऐसे प्रणाम कर देंगे, या संतों की ओर देखेंगे भी नहीं। मुझे पद की गरिमा का अभिमान नहीं, अपने पद की गरिमा का ध्यान है। इसलिए मैं नहीं जाऊंगा।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com