Bhagwan Shri Ram Ka Shringar : प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान रामलला ने धारण किए ये दिव्य आभूषण, श्रृंगार में नहीं हुई कोई कमी!

Bhagwan Shri Ram Ka Shringar : बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला का विशेष एवं ग्रंथों के अनुसार श्रृंगार किया गया है।

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Modified Date: January 22, 2024 / 07:13 PM IST
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Published Date: January 22, 2024 7:12 pm IST

Bhagwan Shri Ram Ka Shringar : राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या नगरी सज-धज कर तैयार हो चुकी है। पूरी अयोध्या को फूलों से सजाया गया है। प्रधानमंत्री पूजा सामग्री लेकर मंदिर के भीतर प्रवेश कर कर पूजन किया। बता दें कि पीएम मोदी रामलला की पूजा के लिए मुख्य यजमान बने और उन्होंने 11 दिनों के यम नियम का पालन भी किया है। राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भगृह में पूजा-अर्चना कर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की।

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Bhagwan Shri Ram Ka Shringar : बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला का विशेष एवं ग्रंथों के अनुसार श्रृंगार किया गया है। उनके श्रृंगार में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रखी गई है। भगवान का श्रीविग्रह रामलला के बालस्वरूप को कई दिव्य आभूषणों और पौराणिक कथाओं में वर्णित उनके स्वरूप के आधार पर वस्त्रों से सुसज्जित किया गया है।

 

कुछ इस तरह हुआ रामलला का श्रृंगार

 

शीष पर मुकुट या किरीटः यह उत्तर भारतीय परम्परा के अनुसार स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों सजाए गए हैं। मुकुट के ठीक बीच में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियाँ पिरोई गयी हैं।

कुण्डलः मुकुट या किरीट के अनुसार ही और उसी डिजाईन के क्रम में भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं, जिनमें मयूर आकृतियां बनी हैं और यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित है।

कण्ठाः गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है, जिसमें मांगलिक पुष्प बने हैं और मध्य में सूर्य देव बने हैं। सोने से बना हुआ यह कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गयी हैं।

कौस्तुभमणिः भगवान के हृदय में कौस्तुभमणि धारण कराया गया है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों से सजाया गया है। यह शास्त्र विधान है कि भगवान विष्णु तथा उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. इसलिए इसे धारण कराया गया है।

वैजयन्ती या विजयमालः यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा और स्वर्ण से निर्मित हार है। जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं, इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है, जिसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिन्ह सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवताओं को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमशः कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।

कमर में कांची या करधनी: भगवान के कमर में करधनी धारण करायी गयी है, जिसे रत्नजडित बनाया गया है। स्वर्ण पर निर्मित इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है, और हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने यह अलंकृत है। पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पाँच घण्टियों को भी इसमें लगाया गया है। इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।

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