Diwali Puja 2025: हंस योग और लक्ष्मी पूजा, इस दीपावली जानें कब होगा घर, दुकान और फैक्ट्री में समृद्धि का प्रवेश?
इस बार दीपावली सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अमावस्या तिथि और संध्याकाल में रात्रि के समय लक्ष्मी पूजन का मुख्य पर्व होगा। इसे माता लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो समृद्धि और सुख की प्राप्ति का प्रतीक है।
(Diwali Puja 2025, Image Credit: Meta AI)
- दीपावली का दिन: 20 अक्टूबर 2023, सोमवार को मनाई जाएगी।
- लक्ष्मी योग: चंद्रमा और शुक्र की युति से लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
- शुभ मुहूर्त: तीन विशेष मुहूर्त (कुंभ, वृष, और सिंह लग्न) में पूजा का समय है।
Diwali Puja 2025: इस साल दीपावली का त्योहार 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, इस दिन संध्या और रात्रि के समय अमावस्या तिथि का होना लक्ष्मी पूजा का मुख्य अवसर प्रदान करता है। यह दिन माता लक्ष्मी के पृथ्वी पर प्रकट होने का विशेष पर्व माना जाता है। दीपावली के दिन घरों और कार्यस्थलों पर श्री लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है ताकि समृद्धि, खुशहाली और सफलता प्राप्त हो सके। परंपरा के अनुसार, दीपावली की संध्या से लेकर रात्रि तक माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं। इसलिए घर को साफ-सुथरा, सजाया और दीपों से रोशन रखना अत्यंत आवश्यक होता है जिससे माता लक्ष्मी का स्वागत हो सके।
ज्योतिषीय दृष्टि से इस बार की दीपावली
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस दीपावली पर चंद्रमा और शुक्र कन्या राशि में युति बन रहे हैं, जिससे लक्ष्मी योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होकर हंस योग का प्रभाव दे रहे हैं। ये दोनों योग धन-वैभव, समृद्धि और कार्यों में सफलता दिलाने वाले माने जाते हैं। इसलिए इस बार पूजा, दान और साधना अत्यंत शुभ और फलदायी होगा।
लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
पूजन के लिए निम्नलिखित शुभ काल मुहूर्त बताए गए हैं, जिनमें आप अपने घर, कार्यालय, दुकान या फैक्ट्री में पूजा कर सकते हैं:
- कुंभ लग्न में : दोपहर 02:34 बजे से 04:05 बजे तक।
- वृष लग्न में : सायं 07:10 बजे से रात्रि 09:10 बजे तक।
- सिंह लग्न में : रात्रि 01:38 बजे से 03:52 बजे तक।
पूजा विधि और अनुष्ठान
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ कर लाल कपड़ा बिछाएं और चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां स्थापित करें। पूजा सामग्री में फूल, मिठाई और खील-बताशे रखकर शुरू करें। सबसे पहले घी का दीपक जलाकर
गणेश जी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें:
‘वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।’
फिर निम्न मंत्र से माता लक्ष्मी का आह्वान करें:
‘सर्वलोकस्य जननीं सर्वसौख्यप्रदायिनीम। सर्वदेवमयीमीशां देवीमावाहयाम्यहम्। ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्।।’
पूजा के दौरान रोली से तिलक करें, पुष्प अर्पित करें, मिठाई लगाएं, श्री सूक्त का पाठ करें और आरती करें। पूजा समाप्ति पर मुख्य द्वार पर दीप जलाकर माता लक्ष्मी से परिवार की खुशहाली, सुख-शांति और समृद्धि की कामना करें।
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