Magh Purnima Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा है माघ पूर्णिमा का व्रत, दूर होंगे सारे कष्ट, पापों से मिलेगी मुक्ति

Magh Purnima Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा है माघ पूर्णिमा का व्रत, दूर होंगे सारे कष्ट Do read this fast story on Magh Purnima 2024

Magh Purnima Vrat Katha: इस कथा के बिना अधूरा है माघ पूर्णिमा का व्रत, दूर होंगे सारे कष्ट, पापों से मिलेगी मुक्ति

Magh Purnima Vrat Katha

Modified Date: February 23, 2024 / 10:03 pm IST
Published Date: February 23, 2024 10:03 pm IST

Magh Purnima Vrat Katha: हिंदू धर्म में माघ माह पूर्णिमा व्रत अधिक शुभ माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा और व्रत किया जाता है। इस बार माघ माह में पूर्णिमा 24 फरवरी को मनाई जाएगी। माघी पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा पुराने वक्त से चली आ रही है। कहा जाता है, कि इस दिन मनोकामना पूर्ति को श्रीहरि का आशीर्वाद पाने के लिए भक्त व्रत रखते हैं। अगर आप भी इस बार व्रत रखने जा रहे हैं तो जान लें कि ये व्रत एख कथा के बिना बिल्कुल अधूरी है।

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माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल माघ पूर्णिमा 23 फरवरी को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 24 फरवरी को शाम 4 बजकर 52 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा का व्रत 24 फरवरी 2024, शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन सूर्योदय से पहले गंगा में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

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माघ पूर्णिमा व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नर्मदा नदी के तट पर शुभ्रवत नामक विद्वान ब्राह्मण रहते थे। लेकिन, वह बहुत लालची थे। इनका लक्ष्य किसी भी तरह धन कमाना था। ऐसा करते-करते वे समय से पहले ही बूढ़े दिखने लगे और कई बीमारियों की चपेट में आ गए। इसी बीच उन्हें अंतर्ज्ञान हुआ कि उन्होंने सारा जीवन धन कमाने में बीता दिया और अब उनका उद्धार कैसे होगा। तब जातकर उन्हे माघ माह में स्नान का महत्व बताने वाला एक श्लोक याद आया।

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इसके बाद स्नान का संकल्प लेकर ब्राह्मण नर्मदा नदी में स्नान करने लगे। करीब 9 दिनों तक स्नान करने पर उनकी तबीयत और ज्यादा खराब होने लगी। तबीयत बिगड़ने से उनकी मृत्यु का समय आ गया। वे सोच रहे थे कि जीवन में कोई सत्कार न करने के कारण उन्हें नरक का दुख भोगना पड़ेगा। लेकिन, वास्तव में मात्र 9 दिनों तक माघ मास में स्नान करने के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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