Mahanavami 2021 puja Vidhi : ends with the worship of Siddhidatri Maa

Mahanavami 2021: आज सिद्धिदात्री मां के पूजन के साथ नवरात्रि का समापन, जानिए आराधना मंत्र और कन्या पूजन विधि

Mahanavami 2021: आज सिद्धिदात्री मां के पूजन के साथ नवरात्रि का समापन, जानिए आराधना मंत्र और कन्या पूजन विधि

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 12:53 PM IST, Published Date : October 14, 2021/1:00 am IST

Mahanavami 2021 puja Vidhi: नवरात्रि के आठ दिनों के पूजन के बाद 14 अक्टूबर यानी कल नवरात्रि की नवमी तिथि का पूजन करने के साथ ही नवरात्रि का समापन हो जाएगा। इस दिन मां दुर्गा की नौवीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इनके पूजन से जातक को समस्त सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। नवमी तिथि को जातक का मन निर्वाण चक्र में अवस्थित रहता है।

इसी के साथ नवरात्रि की नवमी तिथि को कन्या पूजन का भी विधान है। इस दिन मां दुर्गा के नौ स्वरुपों का प्रतीक मानकर नौं कन्याओं का पूजन किया जाता है। नौ कन्याओं के साथ एक बालक के पूजन का भी विधान है। बालक को बटुक भैरव का स्वरुप माना जाता है। इस दिन नवरात्रि का समापन होता है इसलिए यह तिथि भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। तो चलिए जानते हैं मां सिद्धिदात्री का प्रिय भोग,आराधना मंत्र व कन्या पूजन विधि।

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मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी कमल पर विराजमान रहती हैं। इनकी चार भुजाएं है। मां के दाहिने ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा है और ये नीचे वाले हाथ में चक्र धारण करती हैं। बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में मां शंख धारण करती हैं तो नीचे वाले हाथ में कमल सुशोभित है।

मां सिद्धिदात्री आराधना मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

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मां सिद्धिदात्री व कन्या पूजन विधि-

प्रातः स्नानादि करने के पश्चात सर्वप्रथम कलश पूजन करें व उसमें स्थापित सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें।
इसके बाद मां सिद्धिदात्री के आराधना मंत्र का जाप करते हुए मां सिद्धिदात्री का पूजन करें।
मां को फल-फूल व मिष्ठान अर्पित करें।
इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन करते समय हलवा-चना का भोग लगाना चाहिए और प्रसाद स्वरुप कन्याओं को भी खिलाना चाहिए।
कन्या पूजन के लिए सर्वप्रथम आमंत्रित की गई कन्याओं और बटुक भैरव (लड़का) के पैर धोएं और उन्हें आसन पर बिठाएं।
इसके बाद सभी कन्याओं का तिलक करें।
अब बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन भगवान को अर्पित करें और कन्याओं के लिए भोजन परोसें।
भोजन करने लेने के पश्चात कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
इसके बाद फल, भेंट व दक्षिणा देकर कन्याओं को विदा करें।

 
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