Mahashivratri Puja Samagri : शिवलिंग की पूजा एवं अभिषेक की सामग्री में यदि इन 3 चीज़ों को न किया शामिल,, तो चारों पहर की पूजा रहेगी अधूरी
If these 3 things are not included in the material of worship and Abhishek on Shivling, then the worship of all four times will remain incomplete
Mahashivratri puja samagri
Mahashivratri Puja Samagri : महाशिवरात्रि के दिन यदि आप भगवान् भोलेनाथ को प्रसन्न करने चाहतें हैं तो शिवलिंग पर आवश्य चढ़ाएं धतूरा, कच्चा दूध, फूल, भांग, अक्षत एवं गंगाजल के अलावा 3 ऐसी महत्वपूर्ण चीजें हैं, जिन्हें चढ़ाए बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। शिवपुराण में इन चीजों को भगवान शिव को अर्पित करने की वजह भी बताई गई है। महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए ख़ास माना जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। आप भी अगर महाशिवरात्रि व्रत रख रहे हैं या भगवान शिव की विशेष पूजा करना चाहते हैं, तो याद रखें कि भगवान शिव की विशेष पूजा में तीन चीजों को जरूर शामिल करें।
Mahashivratri Puja Samagri : आईये जानते हैं वो तीन विशेष चीज़ें कौन सी हैं..
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को रुद्राक्ष ज़रूर चढ़ाएं
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को रुद्राक्ष की चढ़ाया जाता है। शिव पुराण में उल्लेख है कि रुद्राक्ष के फल रुद्र (शिव) के पवित्र आंसुओं का प्रतीक हैं, जो उनके गहन ध्यान से लौटने के बाद उनके गालों पर टपके थे। धरती पर गिरते ही इन आंसुओं से रुद्राक्ष के पेड़ उग आए। इसलिए रुद्राक्ष को शिव जी का प्रतीक माना जाता है। एक बार शिव जी ध्यान में लीन थे। तभी उनके आंसू धरती पर टपके। इन आंसुओं ने रुद्राक्ष के वृक्षों को जन्म दिया। यही कारण है कि रुद्राक्ष शिव जी से जुड़ा है एवं रुद्राक्ष उन्हें अत्यंत प्रिय है और उनके प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भस्म ज़रूर चढ़ाएं
भस्म भोलेनाथ को अतिप्रिय है और भस्म भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार मानी जाती है। वैदिक धर्म ग्रंथों के अनुसार शिव का श्रृंगार भस्म से करने पर भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं, सभी कष्ट दूर कर देते हैं। चूंकि शिव वैरागी हैं, इसलिए उन्हें भस्म चढ़ाना भी अच्छा माना जाता है। भस्म शारीरिक और आत्मिक बल को बढ़ाकर मृत्यु के समय भी अत्यंत आनंद प्रदान करती है।
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मान्यता है कि जो भी भक्त शिव को भस्म चढ़ाता है वह उससे जल्दी प्रसन्न होते हैं और उसके सभी दुखों को हर लेते हैं. माना ये भी जाता है कि भस्न चढ़ाने से संसार की मोह माया से मन मुक्त पा लेता है। धार्मिक मान्यता है कि केवल पुरुष ही शिवलिंग पर भस्म अर्पित कर सकते हैं। भस्म, महादेव का प्रतीक है। भस्म हर मनुष्य के लिए जीवन के अस्थायित्व का प्रतीक भी है। हर मनुष्य को याद रखना चाहिए कि इस पृथ्वी पर कुछ भी स्थायी नहीं है, इसलिए अंहकार से सदैव दूर रहना चाहिए।
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महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को चढ़ाएं बेलपत्र
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या और पूजा की थी, तब सबसे पहले उन्होंने ही भगवान शिव को बिल्वपत्र चढ़ाया था। भगवान शंकर और देवी पार्वती को बिल्वपत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है। महादेव एक बिल्वपत्र चढ़ाने पर भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है।
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भगवान शंकर को बेल पत्र बेहद ही प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष के कारण संसार पर संकट मंडराने लगा था। तब भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष को गले में धारण कर लिया इससे शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और पूरी सृष्टि आग की तरह तपने लगी। इस कारण धरती के सभी प्राणियों का जीवन कठिन हो गया। सृष्टि के हित में विष के असर को खत्म करने के लिए देवताओं ने शिव जी को बेल पत्र खिलाए। बेल पत्र खाने से विष का प्रभाव कम हो गया, तब से ही शिव जी को बेल पत्र चढ़ाने की प्रथा बन गई। इसलिए बेल पत्र चढ़ाने से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर इच्छा को पूरा करते हैं।
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