shivling ki utpatti kaise hui
Shivling ki Utpatti Kaise hui? : शिवलिंग अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न। इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। शिवलिंग की उत्पत्ति से शिवपुराण की अत्यंत रोचक एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। शिवलिंग के प्रकट होने की इस कहानी की शुरुआत ब्रह्मा और विष्णु के विवाद से होती है। भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच बहस के दौरान आकाश से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था।
Shivling ki Utpatti Kaise hui?
शिवलिंग को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाने की परंपरा है। पौराणिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
Shivling ki Utpatti Kaise hui? : आइए, जानते हैं शिवलिंग की उत्पत्ति से जुड़ी कथा।
आईये यहाँ जानते हैं शिवलिंग का क्या अर्थ है:
शिवलिंग पूरे ब्रह्मांड का प्रतीक है, इसकी उत्पत्ति के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिवलिंग की पूजा लिंग रूप में की जाती है। शिवलिंग, भगवान शिव या परब्रह्म परमात्मा सदाशिव का प्रतीक है। शिवलिंग की पूजा सगुण और निर्गुण निराकार दोनों रूपों में भी होती है। ‘शिव’ का अर्थ है कल्याणकारी और ‘लिंग’ का अर्थ है सृजन। इन दोनों शब्दों से मिलकर शिवलिंग शब्द बनता है। शिवलिंग, कल्याण और सृजन का प्रतीक, दो प्रकार के होते हैं, ज्योतिर्लिंग और पारद शिवलिंग। ज्योतिर्लिंग को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि मन, ब्रह्म, माया, बुद्धि, चित्त, आकाश, जीव, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी मिलकर शिवलिंग बनाते हैं।
Shivling ki Utpatti Kaise hui? : आईये यहाँ जानते हैं शिव की उत्पत्ति की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच बहस के दौरान आकाश से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था। शिव पुराण की कथा के अनुसार, सृष्टि के निर्माण के बाद भगवान विष्णु और ब्रह्माजी में बहस छिड़ गई कि कौन श्रेष्ठ है। दोनों में से कौन ज़्यादा शक्तिशाली है, यह साबित करने की होड़ में दोनों विवाद करने लगे। तभी आकाश में एक रहस्यमयी चमकीले पत्थर के प्रकट होने पर स्वर्ग से आवाज आई कि जो इसका अंत खोज लेगा वही सर्वशक्तिमान होगा। विष्णु नीचे और ब्रह्मा ऊपर गए, लेकिन किसी को भी पत्थर का अंत नहीं मिला। भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों पृथ्वी के हर तरफ़ गए लेकिन उन्हें इस पत्थर का छोर नहीं मिला।
Shivling ki Utpatti Kaise hui?
विष्णु ने हार मान ली, लेकिन ब्रह्मा जी ने दावा किया कि उन्हें पत्थर का अंत मिल गया है। ब्रह्मा जी ने झूठ का सहारा लेकर खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने की कोशिश की। उसी समय, एक और दिव्य आवाज गूंजी। आकाशवाणी में कहा गया, “मैं शिवलिंग हूँ, और मेरा न कोई अंत है और न ही कोई शुरुआत।” उसी क्षण, भगवान शिव प्रकट हुए। यह घटना ब्रह्मांड में शिव की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है। यह कथा हमें सच्चाई और ईमानदारी का महत्व भी सिखाती है। ब्रह्मा जी के झूठ बोलने से हमें यह सीख मिलती है कि सत्य की हमेशा जीत होती है।
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