मां महिषासुर मर्दिनी ने यहीं किया था असुरों का नाश, मृदंग की तरह बजती है विशाल शिला
मां महिषासुर मर्दिनी ने यहीं किया था असुरों का नाश, मृदंग की तरह बजती है विशाल शिला
बस्तर । जिले के फरसगांव से 16 किमी की दूरी पर स्थित है, बड़े डोंगर…यहीं विराजती हैं मां महिषासुर मर्दिनी। माता का धाम यहां ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां माता का महिषासुर से भीषण संग्राम हुआ था, माता ने यहीं असुरों का नाश किया था। यहां उस संग्राम के कई चिन्ह आज भी मौजूद हैं।
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एक मान्यता ये भी है कि असुरों का नाश कर माता दंतेश्वरी दंतेवाड़ा की तरफ निकल गईं, आज भी बड़ेडोंगर की पहाड़ी के ऊपर विशाल भैंसे के पदचिन्ह, शेर के पंजे विद्यमान हैं। बड़े डोंगर की पहाड़ी को भैंसादोह के नाम से भी जाना जाता है। इस पहाड़ी पर एक खोह है, जहां से होकर पहाड़ी के नीचे जाया जा सकता है।
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पहाड़ी पर मृदंग के आकार का एक बड़ा सा पत्थर रखा हुआ है, इसे बजाने पर मृदंग जैसी आवाज भी निकलती है । लोग इसे माता दंतेश्वरी का चमत्कार मानते हैं। यहां माता के मंदिर के सामने ही उनके सेनापति की मूर्ति स्थापित है। देवी प्रतिमा के सामने भैरवदेव और शिवजी का मंदिर है, कहते हैं जब बड़े डोंगर को बस्तर की राजधानी बनाया गया, तभी से काकतीय राजवंश की समृद्धि बढ़ी। बस्तर के राजा को रथपति की उपाधि मिली। आज भी बस्तर के नए राजा का अभिषेक बड़ेडोंगर में स्थित मां महिषासुर मर्दिनी के सामने ही होता है।

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