स्वयंभू सुप्तेश्वर गणपति के द्वार पहुंचते ही खत्म होने लगती हैं बाधाएं, 40 दिनों में पूरी हो जाती है हर मुराद, लगातार बढ़ रहा प्रतिमा का आकार
स्वयंभू सुप्तेश्वर गणपति के द्वार पहुंचते ही खत्म होने लगती हैं बाधाएं, 40 दिनों में पूरी हो जाती है हर मुराद, लगातार बढ़ रहा प्रतिमा का आकार
जबलपुर । ये है मन्नत पूरी करने वाले गणेश……..40 दिनों के अंदर ही गणपति अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं…..स्वयंभू हैं…गणेश का ये अद्भुत रूप….25 फीट लंबे और 100 फीट चौड़ी है गणेश प्रतिमा……ये हैं विश्व प्रसिद्ध सुप्तेश्वर गणपति…..
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यहां स्थापित गणेश जी कि मूर्ति को किसी भी शिल्पकार ने ऐसा आकार नहीं दिया है..बल्कि गणेश प्राकृतिक रूप में ही यहां प्रकट हुए हैं। इस मूर्ति कि खास बात ये है कि इसमें गणेश जी का चेहरा और पेट ही जमीन के ऊपर है बाकी शरीर का हिस्सा जमीन के अन्दर है। इस मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है ही विनायक जमीन से बाहर आ रहे हो…. सुप्तेश्वर गणपति 40 दिनों में ही अपने भक्तों के बड़े से बड़े कष्ट दूर कर देते हैं।
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दशकों पहले जबलपुर के रतन नगर इलाके में बड़ी-बड़ी पहाड़ियां और जंगल हुआ करते थे। ऐसा कहा जाता है कि सन 1975 में महाराष्ट्र से जबलपुर में आकर बसे राजे परिवार की महिला सुधा राजे को 1988 में गणेश ने सपने में आकार इस इलाके में अपना मंदिर बनाने के लिए कहा..राजे परिवार ने जब सपने के बारे में लोगो को बताया तो किसी ने भी उनकी बात नहीं मानी….लेकिन बावजूद इसके राजे परिवार ने गणपति की प्रतिमा इस स्थान पर स्थापित की…जो धीरे-धीरे करके बड़ी होती चली गई। 25 फिट लंबे और 100 फीट चौड़े आकार में स्थापित गणेश जी कि यह मूर्ति दूर से देखने ने एक बड़े पत्थर जैसी दिखती है लेकिन इस मूर्ति कि खास बात है इसका सिंदूरी कलर, जो भी भक्त गणपति की मूरत पर सिंदूरी रंग चढ़ाता है..उस पर गणपति के साथ-साथ बजरंगबली की भी कृपा बरसती है।

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