Saraswati Amritwani : बसंत पंचमी पर ज़रूर सुनें सरस्वती अमृतवाणी, ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के साथ हर क्षेत्र में मिलेगा मनवांछित परिणाम
On Basant Panchami, you must listen to Saraswati Amritvani, along with the attainment of knowledge and learning, you will get desired results in every field
Saraswati Amritwani
Saraswati Amritwani : माता सरस्वती, विद्या, ज्ञान, संगीत, और कला की देवी हैं. सरस्वती को शिक्षा की देवी भी कहा जाता है। सृष्टि में ज्ञान विज्ञान और जितनी भी विद्याएं हैं सबकी देवी माता सरस्वती हैं। माता सरस्वती ज्ञान की प्रकाष्ठा हैं इसलिए इन पर सांसारिक रंग चढ ही नहीं सकता है। सरस्वती को शारदा, वीणावादिनी, और वीणापाणि जैसे नामों से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म का पालन करने वाले कलाकारों से लेकर वैज्ञानिकों तक, हर कोई उनसे मार्गदर्शन और बुद्धि के लिए प्रार्थना करता है। वसंत पचंमी के दिन पूजा के समय सरस्वती वंदना करनी चाहिए और उसके बाद सरस्वती माता की आरती करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पढ़ाई शुरू करने के लिए सरस्वती पूजा का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन ही माता- पिता अपने छोटे बच्चे को पहली बार अक्षर का ज्ञान और कलम पकड़ाते हैं।
ऐसा माना गया है कि मनोकामना पूर्ति के लिए प्रात: काल 3:10 से 3:15 तक का समय सर्वोत्तम है, इस दौरान अगर आप हर रोज अपने मन की कामना बोलें तो आपकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है। वहीं प्रात: काल 3:20 से 3:40 के बीच भी सरस्वती जीभ पर विराजमान होती हैं।
Saraswati Amritwani :आईये यहाँ प्रस्तुत है सरस्वती अमृतवाणी
सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,
पावन आशीष से करदे,
जन जन का कल्याण ।
विद्या बोध स्वरूपिणी,
मन मोहक तेरा रूप,
हर ले निशा अज्ञान की,
ज्ञान की देकर दूप ।
Saraswati Amritwani
शारदे माँ सुरेस्वारी,
कर दुखों का अंत,
ज्योतिर्मय है जगत में,
महिमा तेरी अंनत ।
त्रिभुवन में है गूंजता,
मधुर तेरा संगीत,
दिव्य आकर्षण है लेता,
शत्रु का मन जीत ।
जय सरस्वती माँ,
जय हो सरस्वती माँ..
Saraswati Amritwani
देवी ज्ञान विज्ञान की,
कष्ट हरण तेरा जाप,
तेरे उपासक को छुवे,
कभी न दुःख संताप ।
कला निधि करुनेस्वरी,
करुणा करदे आपार,
कलह कलेश न हो यहाँ,
सुखमय हो संसार ।
Saraswati Amritwani
सात सुरों के स्वामिनी,
सातों रंग तेरे पास,
अपने साधक की करना,
पूर्ण हर एक आश ।
श्री नारायण की प्रिय,
प्रीत की पुस्तक खोल,
पीड़ित पा जाए शांति,
वाणी मनोहर बोल ।
जय सरस्वती माँ,
जय हो सरस्वती माँ..
Saraswati Amritwani
बुद्धि और विवेक का,
दे सबको उपहार,
सर्व कलाओं से मैया,
भरे तेरे भण्डार ।
परम योग स्वरूपिणी,
मोडक मन की हर,
सर्व गुणों के रत्नों से,
घर साधक का भर ।
कला में दे प्रवीणता,
जग में बढ़ा सम्मान,
तेरे अनुग्रह से बनते,
अनपढ़ भी विद्वान ।
Saraswati Amritwani
भगतों के मन पटल पर,
अंकित हो तेरा नाम,
हर एक कार्य का मिले,
मन बांछित परिणाम ।
जय सरस्वती माँ,
जय हो सरस्वती माँ..
तेरी अनुकम्पा से होता,
प्रतिभा का विकाश,
ख्याति होती विश्व में,
जीवन आता रास ।
Saraswati Amritwani
हंस के वाहन बैठ के,
प्रिये जगत में घूम,
दशों दिशाओं में मची,
तेरे नाम की धूम ।
स्मरण शक्ति दे हमें,
जग की श्रृजन हार,
तेरे कोष में क्या कमी,
तूम हो अपरंपार ।
Saraswati Amritwani
श्वेत कमल के आसन पर,
मैया रही विराज,
तेरी साधना जो करे,
सिद्ध करे उनके काज ।
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