आज से मनाया जा रहा ओणम का पर्व, इस दिन तक करें पारंपरिक तरीके से पूजा, जानिए महत्व और पौराणिक कथाएं
Onam Festival 2022: आज से मनाया जा रहा ओणम का पर्व, इस दिन तक करें पारंपरिक तरीके से पूजा, know the importance and mythology
नई दिल्ली। Onam Festival 2022: आज दक्षिण भारत का मुख्य त्योहार ओणम मनाया जा रहा है। मलयालम सोलर कैलेंडर के मुताबिक, ओणम चिंगम माह में शिरुवोणम नक्षत्र में मनाया जाता है। ये मलयाली पंचांग का पहला महीना होता है। मान्यता है कि इस दिन पाताल लोक से राजा बलि अपने प्रजा का हाल जानने पृथ्वीलोक पर आते है और इसी खुशी में ये त्योहार मनाया जाता है। ओणम का पर्व विशेषतौर पर केरल उसी प्रकार हर्षोल्लास के साथ मनाते है जैसे उत्तर भारत में दीपावली मनाई जाती है। 10 दिन तक मनाए जाने वाले इस उत्सव में हर दिन कई परंपराएं निभाई जाती है।
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ओणम तिथि
Onam Festival 2022: मलयालम कैलेंडर के अनुसार थिरुवोणम नक्षत्र 7 सितंबर 2022 को शाम के 4 बजे से शुरू होगा। 8 सितंबर 2022 को दोपहर 01.46 मिनट पर खत्म होगा।
ओणम पर्व का महत्व
Onam Festival 2022: प्राचीन कथा के अनुसार, देवताओं का युद्धि में हराकर राजा बलि ने अपना आधिप्तय हासिल कर लिया था। कहा जाता है, कि राजा बलि अपने प्रजा के लिए पूर्ण रूप से समर्पित थे। जो उनके पास जाता कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। स्वर्ग पर अधिकार जमाने के लिए बलि ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी और तीनों लोक नाप लिए थे। बलि की भक्ति देखकर श्रीहरि ने उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया था।
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ओणम की परंपराएं
Onam Festival 2022: ओणम के पहले दिन को अथम कहते हैं इस दिन घर के बाहर रंगोली बनाई जाती है। दूसरा दिन चिथिरा पर्व मनाया जाता है। तीसरे दिन को चोढ़ी कहा जाता है इस दिन खरीददारी करना शुभ होता है। चौथे दिन को विसकम कहते हैं। पांचवे दिन अनिजम में बोट रेस होती है इस रेस का नाम वल्लमकली है। छठे दिन थ्रीकेटा में लोग अपने पैतक मंदिर जाते हैं और एक-दूसरे को भेंट देने की परंपरा है। सातवें दिन मूलम में इस दिन मंदिरों में विशेष प्रकार की खीर का भोग लगाया जाता है। आठवां दिन राजा बलि और वामन देव की मिट्टी से निर्मित प्रतिमा बनाई जाती है। उत्तरदम ओणम का नौवां दिन होता है, इस दिन फूलों की रंगोली बनाकर राजा बलि के आगमन की तैयारी की जाती है। दसवें दिन थिरु ओणम में राजा बलि के स्वागत की खुशी में कथकली नृत्य और सर्प नौका दोड़ की जाती है और दावतों का आयोजन किया जाता है।

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