Bhai-Dooj 2022: भाई दूज पर बन रहे बेहद शुभ संयोग, इस खास धड़ी में लगाए भाई माथे पर प्यार का तिलक

very auspicious coincidence is being made on this Bhai Dooj : दिवाली के एक दिन बाद भाई-बहन का पवित्र पर्व भाई-दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं।

Bhai-Dooj 2022: भाई दूज पर बन रहे बेहद शुभ संयोग, इस खास धड़ी में लगाए भाई माथे पर प्यार का तिलक

Bhai Dooj

Modified Date: November 29, 2022 / 07:56 pm IST
Published Date: October 26, 2022 5:58 am IST

Bhai-Dooj 2022: धर्म। दिवाली के एक दिन बाद भाई-बहन का पवित्र पर्व भाई-दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं। आज के दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती है और उनके मंगल जीवन की कामना करती है। कई लोग भाई-दूज को रक्षाबंधन से जोड़ कर देखते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों त्योहारों की विधि लगभग समान है, लेकिन दोनों में अंतर भी है। आइए हम आपको भाई-दूज की जानकारी देते हैं।

भाई के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना का पर्व- यमद्वितीया या भाईदूज –

भाई दूज का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक दो त्योहार मनाये जाते हैं – एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है। दूसरा त्योहार, भाई दूज का होता है। इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। भाई दूज का त्योहार कार्तिक मास शुक्लपक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। भविष्योत्तर पुराण में भाईदूज की जो कथा मिलती है उसके अनुसार यमराज अपने कामकाज में इतने व्यस्त हो गए कि उन्हें अपनी बहन यमुना की याद भी नहीं रही। एक दिन यमुना ने यमराज को संदेशा भिजवाया। बहन का संदेशा मिलते ही यमराज बहन से मिलने निकल पड़े। यह दिन है कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि। इस तिथि को यमद्वितीया और भाईदूज के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्यतः भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है।

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यमद्वितीया व्रत की विधि –

-भाई दूज के दिन नहा-धोकर वस्त्र धारण करें

– अक्षत (ध्यान रहे कि चावल खंडित न हों), कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं

– भाई की लंबी उम्र और कल्याण की कामना के साथ व्रत का संकल्प लें।

– विधि-विधान से पहले यम की पूजा करें, फिर यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की

– अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें

– इस मौके पर भाई बहन को उपहार दें

– पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को व्रत रखना चाहिए

– पूजा संपंन होने के बाद भाई-बहन साथ भोजन करें

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जहां रक्षा बंधन के त्योहार पर बहनें भाई के घर आती हैं तो वहीं भाई दूज पर बहनों के घर जाने का विधान हैं क्योंकि इस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसलिए जिनकी बहनों की शादी हो चुकी है उन भाइयों को अपनी बहन के घर जाना चाहिए। जिनकी शादी नहीं हुई है वे अपने घर पर ही तिलक कर सकती हैं। इस दिन बहनों को अपने भाई को आमंत्रित कर, उनके मनपसंद भोज्य पदार्थ बनाकर खिलाने चाहिए और उनका तिलक करके उन्हें पान खिलाना चाहिए। तिलक करवाने के बाद भाई को भी अपनी बहन का आशीर्वाद लेना चाहिए व उन्हें भेंट में कुछ देना चाहिए।

इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्व माना गया है यदि आप सक्षम हैं तो यमुना में जाकर स्नान कर सकते हैं। माना जाता है कि यम द्वितीया के दिन जो भाई बहन यमुना में स्नान करते हैं उन्हें अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम व मजबूत रिश्ते का प्रतीक है इसलिए भाई बहन को इस दिन एक दूसरे से किसी प्रकार का झगड़ा या अपशब्द नहीं कहने चाहिए।
भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक करना चाहिए व भोजन करवाना चाहिए।

इस साल बने तीन शुभ संयोग

इस साल भाई दूज पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है, जो दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से अगले दिन 28 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 30 मिनट तक है. इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। वहीं, भाई दूज के प्रात:काल से लेकर सुबह 07 बजकर 27 मिनट तक आयुष्मान योग बना है। उसके बाद से सौभाग्य योग का प्रारंभ हो जाएगा। सौभाग्य योग अगले दिन प्रात: 04 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। ये तीनों ही योग मांगलि​क कार्यों के लिए शुभ फलदायी होते हैं।

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