Vinayak ki Adbhut Kheer : एक चम्मच दूध और एक चुटकी चावल लेकर गणेश जी गए खीर बनवाने,, यहां पढ़ें गणेश जी की खीर वाली दिलचस्प कहानी
Ganesh ji went to make kheer with a spoon of milk and a pinch of rice, read the interesting story of Ganesh ji's kheer here
Vinayak ki adbhut kheer
Vinayak ki Adbhut Kheer : यह एक गणेश जी कि कथा है. जो बहुत प्रचलित है। हमेशा से व्रत-उपवास के समय कही सुनी जाती है. विनायक कथा के रुप में इसे ज्यादा जाना जाता है.
गणेशजी और खीर की कहानी
एक बार गणेशजी ने पृथ्वी के मनुष्यों परीक्षा लेने का विचार किया. वे अपना रुप बदल कर पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे. उन्होंने एक बालक का रूप बना लिया. एक हाथ में एक चम्मच में दूध ले लिया और दूसरे हाथ में एक चुटकी चावल ले लिए और गली-गली घूमने लगे, साथ ही साथ आवाज लगाते चल रहे थे, “कोई मेरे लिए खीर बना दे, कोई मेरे लिए खीर बना दे…”. कोई भी उनपर ध्यान नहीं दे रहा था बल्कि लोग उनपर हँस रहे थे. वे लगातार एक गांव के बाद, दूसरे गांव इसी तरह चक्कर लगाते हुए पुकारते रहे. पर कोई खीर बनाने के लिए तैयार नहीं था. सुबह से शाम हो गई गणेश जी लगातार घूमते रहे
Vinayak ki Adbhut Kheer
एक बुढ़िया थी. शाम के वक्त अपनी झोपड़ी के बाहर बैठी हुई थी, तभी गणेश जी वहां से पुकारते हुए निकले कि “कोई मेरी खीर बना दे, कोई मेरी खीर बना दे…..”बुढ़िया बहुत कोमल ह्रदय वाली स्त्री थी. उसने कहा “बेटा, मैं तेरी खीर बना देती हूं.” गणेश जी ने कहा, “माई, अपने घर में से दूध और चावल लेने के लिए बर्तन ले आओ.” बुढ़िया एक कटोरी लेकर जब झोपड़ी बाहर आई तो गणेश जी ने कहा अपने घर का सबसे बड़ा बर्तन लेकर आओ. बुढ़िया को थोड़ी झुंझलाहट हुई पर उसने कहा चलो ! बच्चे का मन रख लेती हूं और अंदर जाकर वह अपने घर सबसे बड़ा पतीला लेकर बाहर आई. गणेश जी ने चम्मच में से दूध पतीले में उडेलना शुरू किया तब, बुढ़िया के आश्चर्य की सीमा न रही, जब उसने देखा दूध से पूरा पतीला भर गया है. एक के बाद एक वह बर्तन झोपड़ी बाहर लाती गई और उसमें गणेश जी दूध भरते चले गए. इस तरह से घर के सारे बर्तन दूध से लबालब भर गए. गणेश भगवान ने बुढ़िया से कहा, “मैं स्नान करके आता हूं तब तक तुम खीर बना लो. मैं वापस आकर खाऊँगा.”
Vinayak ki Adbhut Kheer
बुढ़िया ने पूछा, “मैं इतनी सारी खीर का क्या करूंगी ?” इस पर गणपति जी बोले, “सारे गांव को दावत दे दो.” बुढ़िया ने बड़े प्यार से, मन लगाकर खीर बनाई. खीर की भीनी-भीनी, मीठी-मीठी खुशबू चारों दिशाओं में फैल गई. खीर बनाने के बाद वह हर घर में जाकर खीर खाने का न्योता देने लगी. लोग उस पर हँस रहे थे. बुढ़िया के घर में खाने को दाना नहीं और यह सारे गांव को खीर खाने की दावत दे रही है. लोगों को कुतूहल हुआ और खीर की खुशबू से लोग खिंचे चले आए. लो ! सारा गाँव बुढ़िया के घर में इकट्ठा हो गया.
Vinayak ki Adbhut Kheer
जब बुढ़िया कि बहू को दावत की बात मालूम हुई, तब वह सबसे पहले वहां पहुंच गई. उसने खीर से भरे पतीलों को जब देखा तो उसके मुंह में पानी आ गया. उसे बड़ी जोर से भूख लगी हुई थी. उसने एक कटोरी में खीर निकाली और दरवाजे के पीछे बैठ कर खाने की तैयारी करने लगी. इसी बीच एक छींटा गिर गया और गणपति जी को भोग लग गया और वो प्रसन्न हो गए.
अब पूरे गांव को खाने की दावत देकर, बुढ़िया वापस अपने घर आई तो उसने देखा बालक वापस आ गया था. बुढ़िया ने कहा, “बेटा खीर तैयार है, भोग लगा लो.” .गणपति जी बोले, “मां, भोग तो लग चुका है. मेरा पेट पूरी तरह से भर गया है. मैं तृप्त हूँ. अब तू खा, अपने परिवार और गाँव वालों को खिला.” बुढ़िया ने कहा, “यह तो बहुत ज्यादा है. सबका पेट भर जाएगा इसके बाद भी यह बच जाएगी. उस बची खीर का मैं क्या करूंगी.” इस पर गणेश जी बोले उस बची खीर को रात में अपने घर के चारों कोनों में रख देना और बुढ़िया ने ऐसा ही किया.
Vinayak ki Adbhut Kheer
जब सारा गांव जी भर कर खा चुका तब भी ढेर सारी खीर बच गई. उसने उसके पात्रों को अपने घर के चारों तरफ रख दिया. सुबह उठकर उसने क्या देखा ? पतीलों में खीर के स्थान पर हीरे, जवाहरात और मोती भर गए हैं. वह बहुत खुश हूं. उसकी सारी दरिद्रता दूर हो गई और वह आराम से रहने लगी. उसने गणपति जी का एक भव्य मंदिर बनवाया और साथ में एक बड़ा सा तालाब भी खुदवाया. इस तरह उसका नाम दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गया. उस जगह वार्षिक मेले लगने लगे. लोग गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए, उस स्थान पर पूजा करने और मान्यताएं मानने के लिए आने लगे. गणेश जी सब की मनोकामनाएं पूरी करने लगे
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