भोपाल: By-election in Budhni अब बात मध्यप्रदेश की यहां कांग्रेस भले विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में बुरी तरह हार चुका है, लेकिन लड़ने का हौंसला नहीं खोया है। कांग्रेस की नज़र अब बुधनी विधानसबा सीट पर है। वही बुधनी जहां से जीतकर शिवराज सिंह चौहान 4 बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस ने बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ में सेंधमारी का जिम्मा दिग्विजय सिंह के बेटे, पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल को दिया है। हालांकि बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस बुधनी में दूरबीन से खोजने पर भी नहीं दिखेगी।
By-election in Budhni केंद्रीय कृषी मंत्री का चार्ज लेने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये साफ कर दिया कि वो अपनी परंपरागत सीट बुधनी छोड़ेंगे। फिलहाल बुधनी में शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक वारिस कौन होगा, ये तो तय नहीं लेकिन कांग्रेस ने ये जरुर तय कर लिया है कि वो बुधनी में बीजेपी को वॉकओवर नहीं देगी।
कांग्रेस ने बुधनी में जिताऊ चेहरे की तलाश के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह और पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल बुधनी में कांग्रेस प्रत्याशी की तलाश करेंगे। साथ ही बीजेपी सरकार के खिलाफ मुद्दों की भी पड़ताल करेंगे (ग्राफिक्स आउट) फिलहाल कांग्रेस प्रदेश के सभी उपचुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ने की तैयारी में दिख रही है।
वैसे कांग्रेस के लिए बुधनी जीतना आसान नहीं है। क्योंकि कांग्रेस के पास बुधनी में ना तो बूथ पर वर्कर है ना ही सीहोर जिले में कोई लीडरशिप जाहिर है बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस को नए सिरे से तैयारी करनी होगी। कांग्रेस को बूथ पर खड़ा करना होगा तब ही शिवराज के राजनीतिक वारिस के मुकाबले पार्टी खड़ी हो पाएगी।
क्योंकि शिवराज सिंह चौहान बुधनी से 6 बार के विधायक रह चुके हैं। साल 1990 से लेकर अब तक यानी 2023 तक शिवराज सिंह चौहान का एकतरफा माहौल बुधनी में रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने बुधनी में साल 2018 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव को भी करारी शिकस्त दी थी। फिलहाल बीजेपी का दावा है कि बुधनी सीट पर कांग्रेस की जमानत जब्त होनी तय है
चर्चा तो ये भी है कि शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक वारिस के तौर पर उनके बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान को बीजेपी टिकट दे सकती है। अगर ऐसा होता है बीजेपी के बाकी नेता पुत्रों के लिए भी टिकट पाने का रास्ता खुल जाएगा। खैर अभी तो ये सिर्फ कयास है। लेकिन बुधनी और अमरवाड़ा में उपचुनाव की तैयारियों ने एक बार फिर मध्यप्रदेश में चुनावी रंग घुलने लगा है।