CM Bhupesh Baghel so popular among the public

भूपेश बघेल से अब कका दुलरवा.. जानिए छत्तीसगढ़ के लोग क्यों कहते हैं ‘भूपेश है तो भरोसा है’

Edited By :   July 12, 2023 / 12:49 AM IST

रायपुर : अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल के बदौलत प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश जनता के बीच खासे लोकप्रिय हो चुके है। छत्तीसगढ़ की आम जनता जहाँ उन्हें अपना दुलरवा बताते है तो वही उनके स्नेहपूर्वक कका भी बुलाया जाता है। उनके सभाओ में अक्सर भूपेश है तो भरोसा है के नारे गूंजते है। प्रदेश भर में स्वास्थ्य से लेकर शिक्षा, रोजगार से लेकर परिवहन, सड़क से लेकर जनकल्याण और राज्य के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अल्पकाल में जो कदम छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की तरफ से उठाये गये हैं वह सराहनीय है। (CM Bhupesh Baghel so popular among the public) इतना ही बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों में आज छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा है। सरकार की योजनाओं को समझने और जनता को इससे होने वाले फायदों को जानने आज विशेषज्ञ लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे है।

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इस बीच पूरी दुनिया ने कोरोना जैसे महामारी का भी सामना किया तब भी अपने कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन से उन्होंने त्वरित रूप से जनता तक राहत पहुँचाने के लिए सरकारी तंत्र को निर्देशित किया। केंद्र सरकार के साथ समन्वय के साथ आगे बढ़ती छत्तीसगढ़ को रोजगार के मामले में जो सफलता हासिल हुई वह ऐतिहासिक रही। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रोजगारोन्मुखी योजनाओं का ही कमाल रहा की प्रदेश भर में युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के दरवाजे खुले तो दूसरी तरफ उनके कौशल का विकास कर उन्हें स्वरोजगार भी प्रदान किया। आज के इस लेख में हम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पांच सबसे महत्वकांक्षी शासकीय योजनाओ के बारे में जानेंगे। ऐसी योजनाएं जो न सिर्फ सफल रही बल्कि सीएम भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व का प्रतिबिम्ब भी बना।

इस लेख में आज हम जानेंगे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुछ ऐसे उल्लेखनीय कार्य जिसने उन्हें अल्पकाल में ही देश के सबसे सफल और लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों की कतार में ला खड़ा किया। ये कार्य न कोई सरकारी योजना थी और ना ही किसी तरह की शासकीय बाधा ऐसे जुड़ा। छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़ा एक नेतृत्व जिसने अपने प्रदेश कि समृद्धि का सपना संजोया था, जिसने हमेशा से ही प्रदेश को शीर्ष पर देखने की कल्पना की थी, उसका ही एक अंश मात्र है।

बस्तर में शांति बहाली के प्रयास

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यूं तो हम सभी जानते हैं कि प्रदेश से बाहर छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सल गढ़ के तौर पर भी होती रही है। यहाँ घटित माओवादी घटनाएं और उनमे होने वाली मौतों ने हमेशा से ही देश-दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। यहां के लोगों ने दशकों तक छत्तीसगढ़ ने नक्सल आतंक के दंश को सहा है। बस्तर की धरती में ना जाने कितनी ही जिन्दगिया इस लाल सियासत की भेंट चढ़ गई, हालाँकि इस द्वन्द को रोकने के भी प्रयास होते रहे। (CM Bhupesh Baghel so popular among the public) लेकिन 2018 में भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने क बाद बस्तर और सरगुजा के नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में नक्सल उन्मूलन की दिशा में जो कार्य कराये गए वह धरातल पर साफ़ नजर आता है। सीएम भूपेश बघेल ने खून के बदले खून की नीति को पीछे छोड़ते हुए विकास की बांट जोहते बस्तर में आम लोगो के जनजीवन को सुगम बनाने की दिशा में काम किया। नक्सल क्षेत्रो में सड़को का निर्माण। बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरू करने की कवायद के साथ आदिवासी परम्पराओ के अनुरूप वहा उनकी सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना। प्रशासन और पुलिस की आम लोगो तक पहुँच। सरकारी योजनाओं को लागू करने की दिशा में कार्य और वन्यजीवन को फिर से खुशहाल करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहा।

बस्तर में बहती विकास की इस बयार का नतीजा यह निकला की बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर खुद को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा। वही जिन माओवादी नेताओं ने बस्तर में अशांति फैलाने का कुत्सित प्रयास किया उनसे भी सख्ती से निबटा गया। आज बस्तर में पुलिस के मित्रवत व्यवहार के कारण उन्हें आम लोगो का सहयोग प्राप्त हो रहा है। बस्तर आज रेल से लेकर हवाई मार्ग से जुड़ चुका है। कभी पर्यटकों को तरसने वाला बस्तर आज सैलानियों की भीड़ से गुलजार है।

इसी तरह क्षेत्र के युवाओं को वन्यक्षेत्र से बाहर लाकर उन्हें बड़े शहरो में आधुनिक शिक्षा के लिए भेजने का सरकार का प्रयास उल्लेखनीय रखा। प्राथमिक शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए बस्तर के युवाओ ने दिल्ली, बैंगलोर के संस्थानों में अपनी अकादमिक पढ़ाई पूरी की। बस्तर में आज हाट-बाजार गुलजार है। आम गृहणियों को स्व सहायता समूहों के रूप में रोजगार के साधन मिले हैं तो वन अधिकार के तौर पर वनवासियों को उनका हक़ मिला। इस तरह नक्सलगढ़ की पहचान वाला दक्षिण छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अगुवाई में विकासगढ़ के रूप में समूचे भारत में अपनी पहचान बदल रहा है। बस्तर के लोगो का भी पूरा स्नेह मुख्यमंत्री को हासिल हो रहा है। आज देश की राजधानी दिल्ली में भी ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ के साथ ‘बस्तर ब्रांड’ की गूँज साफ़ सुनाई पड़ती है।

लोक संस्कृति को सहेजने की कोशिश

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ प्रदेश की मूल संस्कृति से जुड़े त्यौहारों और परम्पराओं को सहेजने का हर संभव प्रयास कर रही है। प्रदेश में हरेली, तीजा-पोरा, भक्तमाता कर्मा जयंती, छेर-छेरा पुन्नी, विश्व आदिवासी दिवस, छठ पूजा के दिन सार्वजनिक अवकाश की शुरूआत की गयी है। इसके साथ ही लोक पर्वों के सामाजिक सरोकारों को बनाए रखने के लिए उनको जन सहभागिता से पूरे उत्साह के साथ मनाने की परंपरा शुरू की गई है। जिससे नई पीढ़ी भी लोक संस्कृति और त्यौहारों से जुड़ने लगी हैं।

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इसके अतिरिक्त श्रमिक दिवस पर बोर बासी पर्व का आयोजन कर उन्होंने समूचे शासन और प्रशासन को भी इससे जोड़ा। यह एक बड़ी वजह रही की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगो के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय है। मूलरूप से छत्तीसगढ़ से जुड़े हर वर्ग के बीच उनके इस कार्य की सराहना होती है। आधुनिकता की दौड़ में छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाने के लिए अपनी संस्कृति को भूल रही जनता में इस दिशा में जो जनजागृति इन चार वर्षो में नजर आई है, वह सरकार के साथ पूरे प्रदेश की संस्कृति और विरासत के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

ग्रामीण जनजीवन को आर्थिक रूप से मजबूत करना

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मुख्यमंत्री के उल्लेखनीय कार्यो में जिन कार्यों को सभी ने सराहा उनमे ग्रामीणों को स्वालम्बी बनाने के उनके प्रयास रहे। सीएम भूपेश बघेल ने सरकार निर्माण के साथ ही ग्रामीण जनजीवन से आर्थिक विषमता को दूर करने की कोशिशे शुरू कर दी थी। उन्होंने इसकी शुरुआत वनांचल क्षेत्रो से की जिसका परिणाम यह रहा की वनोपज संग्रहण में छत्तीसगढ़ पिछले साढ़े चार वर्षों में लगातार पूरे देश में अव्वल रहा है। वनोपज से आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। आदिवासियों के जनजीवन में बदलाव परिलक्षित हुआ है। इसके साथ ही राज्य को वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण में दर्जनों राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना के जरिये जिस समृद्धि की नींव रखी थी, अब वह साकार होती दिख रही है। ग्रामीणों के जीवन में अब बदलाव आने लगा है। किसान जैविक खेती की ओर लौटने लगे हैं। भूपेश बघेल सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ जनसशक्तीकरण से आर्थिक विकास की इबारत लिखी है। मंदी के दौर में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था टिकी रही। दरअसल ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक मजबूती के लिए नई दिशा में कामकाज किया गया। भूपेश सरकार ने स्वरोजगार और आजीविका संबंधी गतिविधियों पर फोकस किया। (CM Bhupesh Baghel so popular among the public) पिछले चार वर्षों में छत्तीसगढ़ी अस्मिता और स्वाभिमान लौटाने के कदम उठाए। हर वर्ग को अपने प्रदेश की भावना से और विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की। छत्तीसगढ़ सरकार का मिलेट मिशन शुरू होने से किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव आने लगा है। कोदो-कुटकी और रागी की फसलों की खरीदी का समर्थन मूल्य तय होने पर किसानों को बड़े मुनाफे की उम्मीद। छत्तीसगढ़ में साल 2020-21 में राज्य गठन के बाद सर्वाधिक 92 लाख मीट्रिक टन से अधिक की धान खरीदी का कीर्तिमान बना है। इसका सीधा लाभ ग्रामीण जनजीवन में नजर आया। आज राज्य सरकार के मुखिया भूपेश बघेल के प्रयासों से ग्रामीण-शहरी जीवन के बीचा आर्थिक असमानता काफी हद तक कम हुई है। इसके पीछे जहां पहली वजह सरकार की योजनाएं थी तो दूसरी तरफ कौशल विकास के माध्यम से युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से सीधे जोड़ना भी रहा।

तो इस तरह ये कुछ चुनिंदा कार्य थे जिसके बूते आज प्रदेश सरकार ने जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता कायम की है। (CM Bhupesh Baghel so popular among the public) इसके अतिरिक्त सीएम भूपेश बघेल राज्य के छात्र छात्राओं, छोटे स्कूली बच्चे, महिलायें, युवा, वृद्धजन, व्यापारी वर्ग, किसान, शाहकीय कर्मचारी, निजी क्षेत्र के कर्मचारी व सेवक, स्लैम बस्तियों के निवासी, अंत्योदय परिवार, और राज्य के सभी वर्गों के राहत, कल्याण और लाभ के लिए योजनाओं का निर्माण और उन्हें सुचारु रूप से लागू करना सुनिश्चित कर रहे है। अपने इसी कर्तव्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता, सरोकार और ईमानदारी के बूते भूपेश बघेल राज्य के लोगों के लिए दुलरुआ बन चुके है। उन्हें हर वर्ग से स्नेह और आशीर्वाद मिल रहा है।

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