एएफआई ने कोच के अनिवार्य पंजीकरण के लिए 31 जुलाई की समय सीमा तय की

एएफआई ने कोच के अनिवार्य पंजीकरण के लिए 31 जुलाई की समय सीमा तय की

एएफआई ने कोच के अनिवार्य पंजीकरण के लिए 31 जुलाई की समय सीमा तय की
Modified Date: June 29, 2025 / 06:49 pm IST
Published Date: June 29, 2025 6:49 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने देश में डोपिंग के बढ़ते मामलों से निपटने के प्रयास में सभी कोच (योग्य और अयोग्य) के अनिवार्य पंजीकरण के लिए 31 जुलाई की समय सीमा तय की है।

एएफआई ने स्पष्ट किया है कि इस निर्देश का पालन नहीं करने वाले कोच को काली सूची में डाल दिया जायेगा।

एएफआई ने जनवरी में हुई वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में ऐसे कोच पर नकेल कसने की बात कही थी जिसके शिष्य डोपिंग में शामिल पाये जायेंगे। एएफआई ने अपने नवीनतम परिपत्र में कहा है कि अपंजीकृत कोच को खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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इस परिपत्र के मुताबिक, ‘‘एएफआई (एएफआई) के साथ पंजीकरण करना सभी कोच के लिए अनिवार्य है, चाहे उनकी योग्यता कुछ भी हो। अपंजीकृत कोच को खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने की अनुमति नहीं दी जाएगी और किसी भी परिस्थिति में उन्हें एएफआई की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं किया जाएगा।’’

सफल पंजीकरण के बाद प्रत्येक कोच को एएफआई से पंजीकरण संख्या आवंटित की जाएगी और एक आईडी कार्ड जारी किया जाएगा।

भारतीय ट्रैक एंड फील्ड खिलाड़ियों के बीच बढ़ते डोपिंग मामलों से चिंतित एएफआई ने चंडीगढ़ में जनवरी में हुई अपनी वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में सभी कोच के लिए खुद को पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया है। ऐसा नहीं करने पर काली सूची में डाल दिया जाएगा।

एएफआई ने पिछले साल पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन बड़ी संख्या में कोच पंजीकरण कराने में अनिच्छुक थे। अब तक लगभग 700 से 800 कोच ने पंजीकरण कराया जबकि एएफआई को इसकी दस गुना संख्या की उम्मीद थी।

कोच का पंजीकरण इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एएफआई को 2036 तक 40,000 से अधिक योग्य एथलीटों (खिलाड़ियों) की उम्मीद है और उसके लिए उसे ईमानदार कोचों की आवश्यकता है।

 एएफआई अधिकारी ने पीटीआई से कहा था, ‘‘भारतीय एथलेटिक्स में अधिकांश डोपिंग कोच की संलिप्तता के कारण होती है। इसलिए हम कोच के लिए एएफआई के साथ पंजीकरण करना अनिवार्य कर रहे हैं। इस मामले में सुधार नहीं हुआ तो भारत को निलंबित किया जा सकता है।’’

भाषा आनन्द नमिता

नमिता


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